भोपाल जिले का यह पद वर्षों से सुर्खियों में रहा है। क्योंकि इस जिले में लगभग 1200 प्राइवेट स्कूलों में आरटीई के अंतर्गत प्रवेशित बच्चों की प्रतिवर्ष लगभग 9 करोड़ की फीस प्रतिपूर्ति डीपीसी के माध्यम से सरकार द्वारा की जाती है। आरोप है कि फीस प्रतिपूर्ति के प्रपोजल जन शिक्षा केंद्र के माध्यम से ना मंगाये जाकर सीधे जिला शिक्षा केंद्र द्वारा अपने पास मंगाये जाते है एवं प्रपोजलो की स्क्रूटनी के समय त्रुटिया बताई जाकर भुगतान प्रक्रिया से अलग करने का भय दिखाकर सौदा तय किया जाता है। जबकि मध्यप्रदेश के अन्य सभी जिलों में फीस प्रतिपूर्ति के प्रपोजल जन शिक्षा केंद्रो के माध्यम से जमा होते हैं।
यह है आरोप
1- डीपीसी पद की विज्ञप्ति के तारतम्य में राज्य शिक्षा केंद्र भोपाल के पत्र क्रमांक/5491 दिनांक 21.09. 2022 के सामान्य शर्तों के बिंदु क्रमांक दो पर स्पष्ट किया गया है कि आवेदक के विरुद्ध किसी भी प्रकार की विभागीय जांच/ आपराधिक प्रकरण/न्यायालीन प्रकरण प्रचलित होने पर डेपुटेशन आदेश निरस्त कर दिया जावेगा। लेकिन डॉ. गुप्ता पर विभाग से संबंधित लगे आरोपों की ईओडब्ल्यू की जांच चलते डेपुटेशन पर डीपीसी के पद पर नियुक्त करना नियमों का खुला उल्लंघन है। डॉ. गुप्ता द्वारा कोई भी जांच ना चलने की मिथ्या जानकारी पर हस्ताक्षर कर आवेदन पत्र के साथ प्रस्तुत करने के कारण यह स्थिति बनी।
2- जिस कार्यालय में हुये घोटाले की जांच चल रही हो उसी कार्यालय का कंट्रोलिंग ऑफिसर डीपीसी का पद आरोपी को दिया जाकर नियमों का उल्लंघन किया है। सबूतों से छेड़छाड़ ना हो इसलिए आरोपी को उसी कार्यालय में यह पद कभी नहीं दिया जाता है।
3- सर्व शिक्षा अभियान मिशन से बाहर होने के बाद न्यूनतम 2 वर्ष का कूलिंग पीरियड होता है। इसके पूर्व सर्व शिक्षा अभियान मिशन में नहीं लिया जा सकता। लेकिन डॉ. सीमा गुप्ता के मामले में इस नियम का उल्लंघन किया गया है। क्योंकि इनका कूलिंग पीरियड लगभग एक माह ही है।
4- विज्ञप्ति के बिंदु क्रमांक 3:00 के अनुसार भ्रमण की व्यापक क्षमता होना आवश्यक है। आरोप है कि डॉ. सीमा गुप्ता 65% विकलांग है। इस कारण भ्रमण की व्यापक क्षमता नहीं है। फिर भी भ्रमण की व्यापक क्षमता वाले डीपीसी का पद डॉ. सीमा गुप्ता को दीया जाना नियमों का खुला उल्लंघन है। डॉ गुप्ता इसी विकलांगता के प्रमाण पत्र के आधार पर प्रतिवर्ष सरकार से टेक्स से छूट का लाभ प्राप्त करती है एवं अनेकों अन्य लाभ प्राप्त करती है।
यह है पूरा मामला
सन 2015-16 में तत्कालीन कलेक्टर एवं जिला मिशन संचालक श्री निशांत बरबड़े को फीस प्रतिपूर्ति की प्रक्रिया में जिला शिक्षा केंद्र कार्यालय में किए जा रहे भ्रष्टाचार की शिकायतें मिल रही थी। इस कारण फीस प्रतिपूर्ति से पूर्व संकुल प्राचार्यो की अध्यक्षता में अपने पत्र क्रमांक/1958 भोपाल दिनांक 18.11. 2016 द्वारा सत्यापन/परीक्षण हेतु टीमों का गठन किया गया था। लेकिन तत्कालीन एपीसी एवं वर्तमान डीपीसी द्वारा इस पत्र की कार्यवाही रोक ली गई। संबंधितो को यह पत्र जारी ही नहीं किया गया। जिन स्कूलों को दो से ढाई हजार रुपए प्रति विद्यार्थी के मान से फीस प्रतिपूर्ति होना थी। उन्हें भी लगभग दुगनी राशि भुगतान कर दी गई। मामला संगीन होने पर ईओडब्ल्यू द्वारा प्रकरण पंजीबद्ध कर जांच जारी है। कार्यालय पुलिस अधीक्षक आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ इकाई भोपाल ईओडब्ल्यू के पत्र क्रमांक/169 दिनांक 13.01.2023 द्वारा समर सिंह राठौर एवं डॉ सीमा गुप्ता को नोटिस दिया जाकर विभिन्न बिंदुओं की जानकारी मांगी है।
जहां एक और माननीय मुख्यमंत्री द्वारा विभिन्न मंचों के माध्यम से सरकार की स्वच्छ छवि हेतु भ्रष्टाचार के आरोपियों को तत्काल सस्पेंड किया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर संगीन मामलों से घिरी डॉ सीमा गुप्ता को कार्यालय प्रमुख के पद से नवाजा गया है। लगभग एक माह पूर्व राजगढ़ डीपीसी को शिक्षकों से पैसा वसूली के आरोप में पद से हटा दिया गया। शासकीय शिक्षक संगठन मध्य प्रदेश के प्रांताध्यक्ष राकेश दुबे द्वारा मांग की गई है कि ईओडब्ल्यू की जांच निर्णय होने तक डॉ सीमा गुप्ता को डीपीसी पद से पृथक रखा जावे। ताकि शासन की साफ स्वच्छ छवि पर कोई विपरीत प्रभाव ना पड़े।