किस्साएअच्छेख़ां: अच्छे मियां ग़ौर कर रहे हैं पिछले कुछ दिनों से जुम्मन शेख उनसे कतराए हुए हैं…

पहले तो कोई दिन ऐसा न गुज़रता जब जुम्मन मियां और उनकी मुलाक़ात न हो। इस मोहल्ले में सत्रह बरस से ज़्यादा ही हुए होंगे, और इतना ही अरसा हुआ उनकी और जुम्मन की दोस्ती को। जुम्मन के दालान में जमने वाली महफिल में सबसे पहले पहुंचने और सबसे आखिर में उठने वाले शख्स थे अच्छे मियां। इसी तरह अच्छे मियां के बरामदे में रोज़ शाम को चाय के दो प्याले रख जाती उनकी बेगम, उन्हें पता होता था चाय पे मलाई जमने से पहले जुम्मन शेख वहां आ चुके होंगे। लोग तो ये तक कहते कि अच्छे मियां और जुम्मन शेख में सगे भाईयों सी मुहब्बत है…

जाने इस मोहब्बत को किसकी नज़र लग गई। दिमाग पर खूब ज़ोर डालकर सोचते हैं अच्छे मियां तो भी कोई ऐसी बात याद न आती जो वजह हो इस रूखाई की। जबकि कुछ दिन पहले तो इतनी हसीन मुलाक़ातें हुई थी उनके दरमियान.. जुम्मन की बिटिया की जिठानी आई थी बाहेर से..और उनके साथ थी उनकी नन्हीं सी गुड़िया। इन मेहमानों के साथ अच्छे मियां और उनकी बेगम ने भी बेहतरीन वक्त बिताया, खाने पे भी बुलाया और सभी को शानदार तोहफे भी दिये। अब जुम्मन शेख के रिश्तेदार मानो अपने रिश्तेदार, उसपर बिटिया के ससुराल से कोई आए तो ख़ातिरदारी तो बनती ही है…


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