भोपाल।
बीजेपी के मिशन 2019 के लक्ष्य को हासिल करने के लिए अभी से चुनावी समर की तैयारी शुरू हो गई है।हाल ही में एएनआई को दिये पीएम नरेंद्र मोदी के इंटरव्यू में इसके स्पष्ट संकेत मिल भी गये हैं। वही तीन राज्यों की करारी हार के बाद भाजपा मध्यप्रदेश संगठन में बड़े बदलाव के आसार नजर आ रहे है।खबर है कि लोकसभा चुनाव से पहले प्रदेश अध्यक्ष, प्रदेश संगठन महामंत्री और सह संगठन महामंत्री को बदला जा सकता है। संभागीय संगठन मंत्रियों को भी हटाए जाने की संभावना है।इसके साथ ही कुछ ऐसे प्रदेश पदाधिकारी भी है, जो अपना चुनाव ही हार गए हैं। संगठन लोकसभा चुनाव को देखते हुए प्रदेश पदाधिकारियों में कुछ युवा चेहरे ला सकता है।
विधानसभा चुनाव हारने के बाद अब लोकसभा चुनाव पर भाजपा का पूरा फोकस है। खास भाजपा की नजर हाल ही हारे हुए मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ पर। इनमें भाजपा का सबसे ज्यादा फोकस मप्र पर है, चुंकी यहां भाजपा जादूई आंकड़े के लगभग करीब रही,यहां हार का कारण सिर्फ सात सीटे बनी। हालांकि वोटों का प्रतिशत कांग्रेस की तुलना में ज्यादा रहा। खबर है कि संगठन के तीन प्रमुख पदों प्रदेश अध्यक्ष, प्रदेश संगठन महामंत्री और सह संगठन महामंत्री में से दो पर आलाकमान नए चेहरे ला सकता है। इसको लेकर मध्यप्रदेश से लेकर दिल्ली तक मंथन का दौर शुरु हो गया है।हालांकि प्रदेशाध्यक्ष के बदले जाने की संभावना कम है चुंकी बीते दिनों ही राकेश सिंह ने अपना इस्तीफा दिया था, जिसे पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने अस्वीकार कर दिया था और जमीनी स्तर पर तैयारियों में जुटने को कहा था।हालांकि पहले पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान को पिछले लोकसभा चुनाव का हवाला देकर पद से हटाया गया था, ऐसे में कयास लगाए जा रहे है कि राकेश सिंह को भी हटाया जा सकता है।हालांकि अभी तक पार्टी के तरफ से कोई अधिकारिक बयान सामने नही आया है।
चुनाव में बेहतर परफॉरमेंस नही दे पाए सुहास भगत
वही सुहास भगत प्रदेश संगठन महामंत्री के रूप में अरविंद मेनन की तुलना में काफी कमजोर साबित हुए हैं। विपक्ष में बैठी पार्टी और सामने लोकसभा चुनाव को देखकर संगठन इस पद पर बदलाव कर सकता है। भगत ने आते ही सह-संगठन महामंत्री के पद पर अतुल राय की नियुक्ति की थी, लेकिन प्रदेश संगठन मंत्रियों को यथावत रखा गया। इनमें इंदौर संभाग से जयपाल चावड़ा, उज्जैन संभाग से प्रदीप जोशी, भोपाल-सागर संभाग से आशुतोष तिवारी, ग्वालियर-चंबल से शैलेन्द्र बरुआ, नर्मदापुरम संभाग से श्याम महाजन, शहडोल-रीवा संभाग से जितेन्द्र लिटौरिया और महाकौशल से केशव भदौरिया शामिल हैं। इनके क्षेत्र में पार्टी की हार और इनकी भूमिका को लेकर मंथन हो रहा है।
इनको हटाए जाने की कवायद तेज
ऐसे में संगठन महामंत्री के लिए विद्याभारती से जुड़े हितानंद शर्मा, चंद्रशेखर झा और महाकौशल के क्षेत्रीय प्रचारक राजकुमार मटाले के नाम चर्चा में है। मटाले ने बालाघाट में प्रचारक सुरेश यादव की पुलिस द्वारा पिटाई के मामले में संघ के समर्थन में सक्रिय भूमिका निभाई थी। झा, शिवराज के कहने पर बुदनी में विधानसभा चुनाव के दौरान काम में जुटे थे। इसके साथ ही अभय महाजन, पराग अभ्यंकर, पवन तिवारी के नाम भी चर्चा में हैं। सह संगठन महामंत्री अतुल राय की चुनाव में निष्क्रियता को भी केंद्रीय संगठन ने सक्रियता से लिया है। इनकी कुछ शिकायतें भी आलाकमान तक पहुंची हैं। ऐसे में लोकसभा चुनाव के पहले इन पर भी गाज गिर सकती है।