BHOPAL: ल���ता है सूरत हादसे से प्रशासन ने नहीं लिया सबक

-BHOPAL--Administration-does-not-learned-a-lesson-from-Surat-accident

भोपाल| मुख्यमंत्री कमलनाथ उद���योगपतियों के साथ मीटिंग कर प्रदेश में निवेश की संभावनाएं तलाश रहे हैं, इधर भोपाल जिला प्रशासन पुलिस और नगर निगम के अधिकारी अपने खो चुके रोजगार के बड़े स्रोत को पुनः स्थापित करने की कवायद में तेजी से जुटे हैं। हम बात कर रहे हैं एमपी नगर जोन वन और टू की खूबसूरती में नासूर बन चुकी गुमटियों को एक बार दोबारा रखने की तैयारी में लगे सरकारी अमले की। अब इन गुमटियों को जिस जगह पर रखा जा रहा है उस सड़क पर एक सैकड़ा से ज्यादा कोचिंग संस्थान है जहां भोपाल के और बाहर से आए हजारों छात्र-छात्राएं कोचिंग अध्ययन करते हैं। जब कोचिंग छूटती है तो इस सड़क पर यातायात पूरी तरह से जाम हो जाता है और आधे घंटे में भी किसी गाड़ी का निकलना बमुश्किल को पाता है। अब ऐसे में यदि किसी सड़क के किनारे गुमटिया जाएंगी तो सड़क का क्या हाल होगा यह सहज समझा जा सकता है। 

ऐसे में यदि कोई दुर्घटना हो गई तो आपातकालीन व्यवस्थाएं सड़क पर कैसे पहुंचेगी यह भी अपने आप में एक बड़ा सवाल है। सबसे बड़ा सवाल यह भी है कि जब गुमटियां हटाई गई थी तो फिर इन्हें दोबारा बसाने का क्या औचित्य। बचपन में मदारी के इशारे पर नाचता बंदर सब ने देखा होगा लेकिन जिस तरह से चंद रसूखदार नेताओं के इशारे पर भोपाल का जिला प्रशासन नाच रहा है सांप बताता है कि बच्चों की सुरक्षा से ज्यादा चिंता अब लोगों के आर्थिक हितों की है। यह सब जानते हैं कि गुमटियो का कारोबार करोड़ों रुपए का है और उन्हें बसाने और उनका संरक्षण करने के लिए हर माह एक बड़ी रकम वसूली जाती है जो नेताओं से लेकर अधिकारियों तक की जेबों में जाती है। लेकिन सवाल फिर वही क्या बच्चों की सुरक्षा ज्यादा जरूरी है या फिर चंद लोगों के आर्थिक हित।


About Author
Avatar

Mp Breaking News