राजधानी में कोरोना संक्रमण तेजी के साथ बढ़ता जा रहा है। दो दिन में ही यह संख्या दुगनी होकर अब 75 पर पहुंच गई है। इसका एक बड़ा कारण स्वास्थ्य महकमे की लापरवाही सामने आ रही है लेकिन इससे भी बड़ी एक लापरवाही भोपाल के जिला प्रशासन ने की है। दरअसल सोमवार को भोपाल के नर्मदा अस्पताल में नरेश खटीक नाम के व्यक्ति की मृत्यु हो गई थी जिसे कोरोना संक्रमित पाया गया था। नर्मदा अस्पताल में पहले से ही कई अन्य मरीज भी भर्ती थे और इन सब के आवागमन का साधन केवल एक लिफ्ट और एक सीढी का रास्ता था ।
नियमानुसार प्रशासन को इस मौत के बाद इस अस्पताल को सील कर देना था और पूरी तरह से सारे मरीजों को सुरक्षित कर कोरोन्टाईन और मेडीकल व पैरामेडिकल स्टाफ को भी कोरोन्टाईन करना था। लेकिन प्रशासन ने दिया सिर्फ एक नोटिस ,हालांकि प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई होनी थी कि उसने कैसे कोरोना पेशेंट का इलाज यह जानते हुए किया कि उस अस्पताल में अन्य मरीज भी इलाज करा रहे हैं ।
इतना ही नही,कोरोना मरीज की मौत के साथ ही प्रशासन को इस अस्पताल को सील करना था।अब मामला दूसरा सुनिए, बंसल अस्पताल में कोरोना पाजिटिव होने के बाद स्वास्थ्य विभाग के संचालक विजय कुमार जे भर्ती हो जाते हैं ।यह जानते हुए भी प्रबंधन उन्हें भर्ती कर लेता है कि इस अस्पताल में करीब ढाई सौ मरीज अन्य बीमारियों का इलाज कराने के लिए भर्ती हैं और उसके साथ-साथ हजार से ज्यादा मरीजों की रोज की ओपीडी है ।अस्पताल प्रबंधन का तर्क है कि उसके पास अलग से आइसोलेशन वार्ड है। लेकिन हैरत की बात यह है कि प्रबंधन कोरोना इलाज के प्रोटोकॉल नहीं जानता।
उदाहरण के लिए हम आपको बताते हैं भोपाल में चिरायु मेडिकल कॉलेज और ऑल इंडिया मेडिकल इंस्टिट्यूट कोविड-19 डेडीकेटेड अस्पताल है यानी कि इनमें केवल और केवल कोरोना के ही मरीज भर्ती होंगे ।इतना ही नहीं इनका इलाज करने वाले डॉक्टर भी पैरामेडिकल स्टाफ के साथ को कोरोन्टाईन में रहते हैं, घर नहीं जाते ।यह वह अस्पताल हैं जिन्हें डब्ल्यूएचओ और राज्य शासन की टीम ने पूरी जांच करने के बाद कोविड-19 इलाज अस्पताल श्रेणी में रखा है ।इन अस्पतालों के आसपास का एक किलोमीटर एरिया पूरी तरह से आवागमन के लिए प्रतिबंधित रहता है जबकि बंसल और नर्मदा अस्पताल के सामने से सार्वजनिक सड़क निकलती है जहां से आवागमन लगातार जारी है। यानी अब कोरोना के संक्रमण के कुछ और मामले, भगवान ना करे, सामने आ जाएं।
सोमवार को एक आदेश निकालकर भोपाल के एडीएम ने नेशनल ,नर्मदा बंसल, आरकेडीएफ अस्पताल को कोविड-19 के पेशेंट भर्ती करने के लिए अलग से वार्ड बनाने को निर्देशित किया है। उसके पहले यह निर्देश नहीं था और विजय कुमार बंसल मे भर्ती हो चुके थे। केवल दो आईएएस अधिकारियों पल्लवी जैन गोविल और विजय कुमार जी के अलावा बंसल में कोविड-19 का कोई मरीज भर्ती नहीं ।सवाल यह है कि अफसरों की पांच सितारा चिकित्सा सुविधा के लिए सैकड़ों मरीजों और तमाम मेडिकल और पैरामेडिकल स्टाफ की जान को खतरे में क्यों डाला गया ।मुख्यमंत्री कह चुके हैं कि जानबूझकर कोरोना का संक्रमण फैलाना हत्या के अपराध की बराबर की श्रेणी में आएगा। अब भोपाल के जिला प्रशासन की यह कार्रवाई किस श्रेणी में आएगी ,यह तो समय ही तय करेगा।