भोपाल इज्तिमा की तारीखों का एलान, विश्वभर की जमातें करेंगी शिरकत,पाकिस्तान पर पाबंदी

Shashank Baranwal
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Iztima

Bhopal Iztima Date Announced: राजधानी भोपाल में साल 2023 के लिए लगने वाले आलमी तब्लीगी इज्तिमा की तारीखों का ऐलान कर दिया गया है। इस साल दिसंबर महीने में इज्तिमा का आयोजन किया जाएगा। जो कि 8 दिसंबर से 11 दिसंबर के बीच में भोपाल के ईटखेड़ी में चलेगा। चार दिनों तक चलने वाले इस धार्मिक समागम में विश्वभर के कई धर्म गुरु शामिल होंगे। जहां अलग अलग सत्रों में धार्म गुरुओं की तकरीरें होंगी। वहीं देश विदेश के जमातें भी इस दौरान मौजूद रहेंगी। यह अनुमान लगाया गया है कि इस बार 10 लाख से ज्यादा जमातें शामिल होंगी।

विश्व के चार बड़े मजहबी समागम में शामिल

भोपाल का आलमी तब्लीगी इज्तिमा दुनिया के चार बड़े मजहबी समागमों में शामिल है। सबसे बड़ी जमात हज के दौरान मक्का और मदीना में होता है। वहां करीब 40 लाख लोग इकट्ठे होते हैं. बता दें इज्तिमा की तारीखों का एलान बुधवार को दिल्ली मरकज ने किया। इज्तिमा का शुरुआत 8 दिसंबर को जुमा की नमाज के साथ होगा। वहीं इज्तिमा का समापन चार दिन बाद 11 दिसंबर सोमवार को दुआ-ए-खास के साथ किया जाएगा।

इस बार भी पाकिस्तान पर रहेगी पाबन्दी

भोपाल के आलमी तब्लीगी इज्तिमा में विश्व भर की जमातें शामिल होती हैं। इसमें साउथ अफ्रीका, बांग्लादेश, मलेशिया, जॉर्डन, अफगानिस्तान, कनाडा, अमेरिका, इंडोनेशिया समेत तमाम देशों के लोग शिरकत करते हैं। हालांकि पाकिस्तान से रिश्ते सही न होने के कारण कई सालों से यहां की जमातों पर पाबन्दी लगाई गई है। वहीं अतीक उल इस्लाम ने बताया कि इस बार भी पाकिस्तान की जमातों पर पाबन्दी रहेगी।

विधानसभा के चुनाव के कारण तारीखों में तब्दीली

गौरतलब है कि इज्तिमा का आयोजन पिछले कुछ सालों से नवंबर महीने में हो रहा था। लेकिन इस साल विधानसभा का चुनाव होने के कारण इज्तिमा की तारीखों में तब्दीली की गई है। इसलिए इस बार दिसंबर में आयोजित किया जा रहा है। बता दें भोपाल में आलमी तब्लीगी इज्तिमा का यह 77 वां साल रहेगा।

 


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पत्रकारिता उन चुनिंदा पेशों में से है जो समाज को सार्थक रूप देने में सक्षम है। पत्रकार जितना ज्यादा अपने काम के प्रति ईमानदार होगा पत्रकारिता उतनी ही ज्यादा प्रखर और प्रभावकारी होगी। पत्रकारिता एक ऐसा क्षेत्र है जिसके जरिये हम मज़लूमों, शोषितों या वो लोग जो हाशिये पर है उनकी आवाज आसानी से उठा सकते हैं। पत्रकार समाज मे उतनी ही अहम भूमिका निभाता है जितना एक साहित्यकार, समाज विचारक। ये तीनों ही पुराने पूर्वाग्रह को तोड़ते हैं और अवचेतन समाज में चेतना जागृत करने का काम करते हैं। मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी ने अपने इस शेर में बहुत सही तरीके से पत्रकारिता की भूमिका की बात कही है–खींचो न कमानों को न तलवार निकालो जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालोमैं भी एक कलम का सिपाही हूँ और पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूँ। मुझे साहित्य में भी रुचि है । मैं एक समतामूलक समाज बनाने के लिये तत्पर हूँ।

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