वादों के झूले में झूल रहे अतिथि विद्वान, नियमितीकरण को लेकर सरकार नही दे रही ध्यान

Amit Sengar
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Madhya Pradesh News : शिवराज सरकार की कर्मचारी विरोधी नीति के ख़िलाफ़ हज़ारों अतिथि शिक्षक भोपाल में प्रदर्शन कर रहे हैं। आज हालात ऐसे हो चुके हैं कि प्रदेश में हर वर्ग शिवराज सरकार के खिलाफ है। उधर पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि सेवक ने, सेवा की, लेकिन, मेवा भी लिया, जन-जन की जुबान पर आए, इस सवाल का जवाब क्यों नहीं दिया? अतिथि शिक्षक अतिथि विद्वान और किसान कर्ज़ का क्या ?

गौरतलब है कि एक हफ़्ते के अंदर लगभग 2 से 3 अतिथि विद्वानों की मौत पर कई विधायक सरकार को घेरे रहे है वहीं कांग्रेस विधायक कुणाल चौधरी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि लाशों पर सियासत करने वाले कहां गई संवेदना ? अभी और कितनी कुर्बानी देनी होगी महाविद्यालयीन अतिथि विद्वानों को अपने नियमितीकरण के लिए विद्वान लगातार मौत को गले लगा रहे हैं। सर्कस की सरकार मौन।

प्रदेश संगठन मंत्री प्रशांत पराशर ने कहा कि मानसिक तनाव,आर्थिक बदहाली और अनिश्चित भविष्य के कारण आज एक और अतिथि विद्वान डॉ. सतीश पाटिल का देहावसान हो गया, आखिर और कितनी मौतों पर राजनीति करने चाहते हैं। मुख्यमंत्री जी कुछ तो शर्म कीजिए।

कांग्रेस नेता शाश्वत स बुंदेला ने कहा कि ये हैं MP के उच्च शिक्षा मंत्री, इन्ही के विभाग के महाविद्यालयीन अतिथि विद्वान जीवन/नौकरी सुरक्षित करने की गुहार लगा रहे हैं और ये मुस्कुरा रहे हैं, अपने सगे संबंधियों को विश्वविद्यालय में भर्तियां तो कर दी अब तो इन्हें नियमित कर दो।

अतिथि विद्वान महासंघ के मीडिया प्रभारी डॉ आशीष पांडेय ने कहा कि अतिथि विद्वानों के नियमित कर भविष्य सुरक्षित कर वादा पूरा करे सरकार साथ ही जीने का अधिकार दें।


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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