शहर के दो निजी अस्पतालों हॉस्पिटल में कोरोना के संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। दरअसल सोमवार की सुबह भोपाल के अरेरा कालोनी स्थित अस्पताल में इब्राहिमगंज निवासी नरेश खटीक की मौत हो गई। उसे कोरोना वायरस पाजिटिव आया था। इसी तरह शाहपुरा के अस्पताल में तीन दिन पहले कोरोना पाजिटिव पाए गए आईएएस विजय कुमार भर्ती हुए थे। अस्पताल प्रबंधन का तर्क है कि इन अस्पतालों में भी आइसोलेशन के अलग वार्ड बनाए गए थे लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि एक ही कॉरिडोर और उसके साथ साथ लिफ्ट का इस्तेमाल क्या पूरे अस्पताल में संक्रमण को जन्म नहीं दे रहा और आखिरकार इन दोनों अस्पतालों के खिलाफ जिला प्रशासन ने अब तक कार्रवाई क्यों नहीं की ।
इंदौर में प्रारंभिक चरण में कोरोना के इतनी तेजी से फैलने का कारण निजी अस्पताल ही रहे जिन्होंने बिना सोचे समझे मरीजों को भर्ती किया। उसके बाद जब इस पूरे मामले की कमाल सीनियर आईएएस विवेक अग्रवाल को सौंपी गई तब उन्होंने अस्पतालों को तीन कैटेगरी में चिन्हित किया। रेड कैटेगरी के अस्पतालों में कोरोना पॉजिटिव मरीज, और येलो श्रेणी के अस्पतालों में कोरोना के संदिग्धों का उपचार , अन्य बीमारियों और इमरजेंसी के लिए ग्रीन श्रेणी के अस्पतालों को चिह्नित किया गया और कोरोना मरीजों को पूरी तरह से कोविड-19 के मरीजों के लिए ही आरक्षित अस्पतालो मे भर्ती कर दिया लेकिन भोपाल के अस्पताल में कैसे मरीज को भर्ती किया और क्या उसके बायो मेडिकल वेस्टेज, मृत शरीर का ठीक ढंग से पैक करना और अस्पताल में काम करने वाले कर्मचारियों की पर्याप्त सुरक्षा की व्यवस्था की गई, यह सबसे बड़ा सवाल है।
अस्पताल प्रबंधन की इस लापरवाही ने पूरे अस्पताल को न केवल संक्रमित कर दिया है बल्कि वहां भर्ती मरीज और उनके परिजनों की जान पर भी बन आई है। स्वास्थ्य विभाग इस ओर ध्यान क्यों नहीं दे रहा है यह भी समझ से परे है।