भोपाल पुलिस: कसावट चाहिए तो बदलनी होगी व्यवस्था

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भोपाल। राजधानी में आए दिन हो रहे संगीन अपराध और पुलिस की लगातार सामने आ रही गंभीर लापरवाही से महकमे की जमकर किरकिरी हो रही है। ऐसे में हाल ही में राजधानी पुलिस की कमान संभालने वाले अफसरों का दर्द भी सामने आने लगा है। खबर है कि भोपाल पुलिस को लेकर सरकार से कहा गया है कि यहां सिपाही से लेकर थानेदार तक रसूखदार हैं। कोई किसी नेता का करीबी है तो कोई किसी अफसर का। ऐसे में थाना स्तर पर पुलिस उतनी अलर्ट नहीं रहती, जितना रहना चाहिए। अफसरों ने राजधानी पुलिस का ढर्रा बदलने के लिए बड़े बदलाव की बात कही है। हालांकि अफसरों को मौजूदा व्यवस्था में कानून-व्यवस्था सुधारने के संकेत मिले हैं। 

मप्र पुलिस में महिला की शिकायत सुनवाई के लिए हर थाने में महिला डेस्क एवं महिला कर्मचारी की व्यवस्था है। लेकिन राजधानी समेत बड़े शहरों के थानों में महिला डेस्क का कढ़ाई से पालन नहीं हो रहा है। जो महिला कर्मचारी थानों में पदस्थ हैं, वे सीएसपी, एएसपी एवं एसपी कार्यालय में सुबह 10 से शाम 5 की नौकरी में अटैच हैं। शहर के ज्यादातर थानेदार किसी न किसी नेता अधिकारी की सिफारिश पर राजधानी में तैनात हैं। तत्कालीन डीआईजी रमन सिंह सिकरवार ने शहर पुलिस में बड़ा बदलाव किया था। उन्होंने सालों से जमे थाना प्रभारियों को हटाकर दूसरे जिलों से अपनी पसंदीदा थाना प्रभारी बुलाए थे। यहां बता दें कि भोपाल पुलिस की मौजूदा व्यवस्था से राज्य ��ासन अवगत है। मुख्यमंत्री कमलनाथ भोपाल एवं इंदौर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली शुरू करने के पक्ष में हैं, लेकिन इससे पहले वे खुद बड़े शहरों में पुलिस के ढर्रे की समीक्षा करेंगे। 


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