भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी में कांग्रेस और भाजपा के नेता चुनाव आते ही सक्रिय हो जाते हैं। यही नहीं वह पार्टी द्वारा उम्मीदवार घोषित किए बिना ही खुद चुनाव अभियान भी शुरू कर देते हैं विधानसभा चुनाव के समय ऐसा मंज़र खूब देखने को मिला था। दोनों दलों के कई नेता पहले विधायक और फिर सांसद बनने के सपने देख रहे थे। लेकिन पार्टी की ओर से कोई खास तवज्जो नहीं मिलने से वह दोनों बार असफल हुए। अब यह नेता पार्षद का चुनाव लड़ने की फिराक में हैं।
दरअसल, इस बार अप्रत्यक्ष प्रणाली के तहत नगरीय निकाय चुनाव हो रहा है। ऐसे में पार्षद ही अपना महापौर चुनेंगे। ऐसे में राजधानी भोपाल के कई स्थानीय नेता अब महापौर बनने के सपने देखने लगे हैं। इस बार परिवर्तित नियम के तहत संभवत पार्षद चुनाव में उम्मीदवारों को पार्टी सिंबल भी नहीं मिलेगा। जिससे पार्षद चुनाव में खड़े उम्मीदवार पार्टी के बदौलत कम अपने दम पर ज्यादा वोट हासिल करेगा।