भोपाल। मध्य प्रदेश में ताकतवर विपक्ष के रुप में भाजपा ने सरकार को विभिन्न मुद्दों पर पुरज़ोर तरह से घेरने की कोशिश लेकिन वह अपने ही नेतओं के कारण बैकफुट पर आ गई। भाजपा कांग्रेस का विरोध करते करते ब्योक्रेसी से भिड़ गई है। इसके पीछे सीएम कमलनाथ की रणनीति को भी जिम्मेदार माना जा रहा है। सरकार की नीतियों के खिलाफ मोर्चा खोलने वाली भाजपा अब सरे आम आईएएस अफसरों के खिलाफ खड़ी है। नेता प्रतिपक्ष से लेकर भाजपा विधायक आईएएस अफसरों से बदला लेने के बयान दे रहे हैं। जिससे ब्योरोक्रेसी भी भाजपा नेताओँ से खफा है। सोशल मीडिया पर आईएएस अफसर खुलकर नेताओं की बदजुबानी का विरोध कर रहे हैं। राजगढ़ थप्पड़कांड के बाद कई अधिकारी भाजपा के खिलाफ लिख चुके हैं।
थप्पड़कांड पर बयान से बदली सियासी रणनीति
प्रदेश में कांग्रेस सरकार के खिलाफ विरोध प्रदेर्शन करते करते भाजपा अब अपने ही नेताओँ के बयानों से सियासी भंवर में फंस गई है। सत्ता से बाहर होने के बाद पार्टी विधायकों ने अब आईएएस अफसरों को निशाने पर ले लिया है। बद्रीलाल यादव के बयान से आया सियासी बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। खंडवा की पंधाना विधानसभा से विधायक और रीवा सांसद ने भी अफसरों के खिलाफ बयान दिए हैं। जिससे अफसर भी एकजुट हो गए हैं।
मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद कई मंत्रियों और अधिकारियों के बीच नाराजगी की खबरें आईं थी। सरकार ने लगातार अधिकारियों का ट्रांसफर किया। भाजपा ने सरकार पर ट्रांसफर उद्योग चलाने का आरोप लगाया। इस दौरान सीएम कमलनाथ ने कहा कि प्रदेश में अधिकारियों को फ्री हैंड किया जाता है। कमलनाथ ने अधिकारियों को फ्री हैंड कर अपने भी नेताओं पर अंकुश लगाया। मध्यप्रदेश में कांग्रेस खेमों में बांटी है ऐसे में कमलनाथ ने अधिकारियों को फ्री कर अपने नेताओं के साथ-साथ विपक्षी नेताओं की भी मुश्किलें बढ़ा दी हैं। कमलनाथ के इस सियासी दांव के बाद भाजपा की मुश्किलें बढ़ गई हैं।