BHOPAL AIIMS NEWS : एक 52 वर्षीय मरीज कान के दुर्लभ संक्रमण (घातक ओटिटिस एक्सटर्ना) से पीड़ित था। अपने दाहिने कान से गंभीर दर्द और रक्तस्राव के साथ एम्स की आपातकालीन सेवा में आया था। उसका पहले भी दो बार कहीं और ऑपरेशन किया जा चुका था लेकिन उसकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ था।
एम्स भोपाल के डाक्टर्स ने किया कमाल
मरीज को एम्स में भर्ती कराया गया और डॉ. विकास गुप्ता के नेतृत्व में ईएनटी विभाग के डॉक्टरों की एक टीम ने उसका इलाज शुरू किया, जिससे कान में दर्द और संक्रमण को नियंत्रित करने में मदद मिली। लेकिन , संक्रमण इतना गंभीर था कि यह पहले ही मस्तिष्क की मुख्य रक्त वाहिका (आंतरिक कैरोटिड धमनी) तक फैल चुका था। इससे रक्त वाहिका (स्यूडोएन्यूरिज्म) क्षतिग्रस्त और कमजोर हो गई थी। जिसके कारण कान से बार-बार खून बहने लगा। रक्त वाहिका के पूरी तरह से फटने का भी खतरा था जिससे मरीज की जान भी जा सकती थी।
पेट और जांघ से डाला गया तार
एम्स भोपाल में इस क्षतिग्रस्त रक्त वाहिका का इलाज इंटरवेंशन रेडियोलॉजी तकनीक (कवर स्टेंट प्लेसमेंट) का उपयोग करके किया गया। मरीज के पेट और जांघ के बीच के स्थान से एक रक्त वाहिका में एक बहुत पतला सा तार डाला गया और उसे मस्तिष्क की क्षतिग्रस्त रक्त वाहिका तक पहुँचाया गया। इस तार का उपयोग करके, घायल रक्त वाहिका में उस स्थान पर एक ढका हुआ स्टेंट लगाया गया जहां से खून बह रहा था। यह प्रक्रिया रेडियोडायग्नोसिस विभाग के प्रोफेसर और प्रमुख डॉ. राजेश मलिक के मार्गदर्शन में डॉ. अमन कुमार द्वारा की गई। इलाज के बाद रोगी पूरी तरह से ठीक हो गया और कान से फिर कभी रक्तस्राव नहीं हुआ। इस तरह, सर्जरी और एनेस्थीसिया की आवश्यकता के बिना, कमर में बहुत छोटे से कट के माध्यम से की गई इस अनूठी प्रक्रिया का उपयोग करके रोगी की जान बचाई गई।
रोगियों के लिए वरदान एम्स भोपाल
उन्नत डायग्नोस्टिक इमेजिंग सेवाएं प्रदान करने के अलावा, एम्स भोपाल का रेडियोडायग्नोसिस विभाग, न्यूनतम इनवेसिव इंटरवेंशन रेडियोलॉजी प्रक्रियाएं कर रहा है जो रक्त वाहिकाओं के जटिल रोगों से पीड़ित रोगियों के लिए एक वरदान हैं । एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक और सीईओ प्रोफेसर (डॉ.) अजय सिंह ने इस उपलब्धि के लिए रेडियोडायग्नोसिस विभाग के डॉक्टरों की टीम को बधाई दी है ।