खलनायक में छिपे नायक की कहानी है ‘शकुनि: पासों का महारथी’, दिल्ली में हुआ लोकार्पण

भोपाल। दिल्ली किताब मेले में भोपाल के वरिष्ठ पत्रकार  आशुतोष नाड़कर के पहले उपन्यास  ‘शकुनि: पासों का महारथी’ के हिंदी संस्करण का लोकार्पण हुआ। इससे पहले उनकी किताब अंग्रेज़ी में प्रकाशित हुई थी। जिसे काफी सराहना मिली थी। यह किताब महाभारत के मुख्य किरदार शकुनि पर आधारित है। दिल्ली किताब मेले में नाडकर की इस किताब पर चर्चा हुई। यह किताब वाणी प्रकाशन द्वारा प्रकाशित की गई है। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता कथाकार आकांशा पारे और एबीपी न्यूज़ के एसोसिएट एडिटर प्रणय उपाध्याय थे। इससे पहले शकुनि के अंग्रेज़ी संस्करण को भी पाठकों द्वारा काफी सराहा गया है

आशुतोष ने महाभारत के ऐतिहासिक पात्र ‘शकुनि’ की भूमिका को नए ढंग से उल्लेखित किया गया है। उन्होंंने शकुनि को एक विलेन के बजाए उसके नज़रियों से इस उपन्यास को गढ़ा है। जिसमें शकुनि को केंद्र में रखा गया है और उसके साथ घटित होने वाली घटनाओं का उल्लेख किया गया है। आशुतोष कहते हैैं कि, ”मुझे लगता है कि कोी भी कहानी विजेताओं के नजरिये से लिखी जाती है। अगर हम महाभारत की बात करें तो हमने टीवी पर देखा है, महाभारत के बारे में पढ़ा है । इस बारे में साहित्य भी बहुत सारा है। महाभारत के हर किरदार के बारे में लिखा गया है। शकुनि के बारे में भी लिखा गया है। इसे हम सकारात्मक माने या नकारात्मक, वो बात अलग है। महाभारत की कई घटनाएं शकुनि के किरदार के इर्द गिर्द ही घूमती हैं। माना जाता है कि महाभारत शकुनि की वजह से हुई। तो फिर क्यों न उनके किरदार के बारे में लिखा जाए। जब मैंने यह किताब लिखना शुरू किया तो कई जगह ऐसा लगा कि हर खलनायक में नायक छिपा होता है। इस का भी अपना एक दृष्किकोण हैं। इसलिए इस किताब का उस तरह से विश्लेषण किया जाए।”


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