बजट एनालिसस : बजट अंतरिम हो या पूरा मोदी सरकार के लिए लिटमस पेपर

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भोपाल। लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार ने शुक्रवार को अपना अंतरिम बजट पेश किया। इसमें किसानों, कर्दाताओं और मदूरों को खास ध्यान रखा गया है। केंद्र सरकार के इस बजट के बारे में पीपुल्स समाचार की एनालिसस रिपोर्ट में बताया गया है। कैप्टन रुचि विजयवर्गीय ने अपने एनालिसस में मोदी सरकार के बजट के बारे में विस्तार से समझाया है। 

बजट को लेकर एक अहम सवाल उठ रहा है कि चुनाव से पहले भाजपा सरकार ने अंतरिम बजट या लेखानुदान वोट ऑन अकाउंट के बजाय पूरा बजट पेश किया। जिसका उसे कोई नैतिक अधिकार नहीं है। सामान्यता यह परंपरा रही है कि जब चुनाव सामने होता है तब सरकार साल भर के लेखे जोखे के बजाय अंतरिम बजट या लेखानुदान पेश करती है, ताकि बचे हुए समय जो वर्तमान सरकार के मामले में लगभग 90 दिन है, के लिए खर्चा जैसे पेंशन, वेतन और उदाहरण चुकाने की अनुमति लोकसभा से प्राप्त करलें। सैद्धांतिक रूप से संविधान में उल्लेख नहीं है कि कोई सरकार का समय में ही किसी अधिनियम में संशोधन कर सकती है या कोई विधेयक ला सकती है। आयकर अधिनियम में तकनीकी रूप से कभी भी संशोधन किया जा सकता है लेकिन प्रक्रिया और परंपरा के अनुसार आयकर अधिनियम में केवल टैक्स प्रस्ताव पेश करने के बाद ही संशोधन किया जा जा सकता है। 


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