By-election: मप्र के इतिहास में पहली बार ऐसा दिलचस्प उपचुनाव, कांटे की टक्कर

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट| मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की सियासत (Politics) इन दिनों दिलचस्प मोड़ पर है निष्ठाओं की परिभाषाएं चुनावी चक्रव्यूह में उलझ कर दम तोड़ रही हैं। पार्टी के मूल नेता उपेक्षित हैं और हर कीमत पर जीत के एक सूत्री मांग के चलते दूसरे दलों से आए नेता को टिकट से नवाजा जा रहा है।  भाजपा की पूर्व विधायक पारुल साहू (Former BJP MLA Parul Sahu) के भाजपा छोड़ कांग्रेस (Congress) ज्वाइन करने के बाद कांग्रेस में भाजपा से आने वालों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। चुनावी तिथि की घोषणा होने तक मंजर क्या होगा अभी से कहा नहीं जा सकता, पर इतना तय है कि इस बार रण बेहद रोमांचक और कांटों का होने की उम्मीद है।

सूबे की सियासत में यह पहला मौका है जब एक साथ इतनी सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं। दल बदल कानून बनने के दो दशक बाद पहली बार कांग्रेस के विधायक थोक में पाला बदल कर भाजपा में गए थे। 22 विधायकों के एक साथ पार्टी छोड़ने से कमलनाथ सरकार का पतन तो हुआ, पर कांग्रेस की सियासी चालों से साफ है कि उसने अभी हार नहीं मानी है। उपचुनाव के रण में वह भाजपा को उसी के उस कांटे से गंभीर घाव देना चाहती है जो दल बदल करा कर भाजपा में उसे चुभोया है। यही वजह है कि कांग्रेस के आला नेता लगातार भाजपा नेताओं के संपर्क में हैं और उन्हें भगवा से दूर कर हाथ के नीचे ला रही है इसमें वह फिलहाल सफल होते भी दिख रहे हैं।


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न्यूज डेस्क, Mp Breaking News

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