भोपाल
कोरोना (corona) के संक्रमण के बीच मध्य प्रदेश (madhya pradesh) में एक और बड़ी खबर (big news) अभी दबी हुई है और वह है उप चुनावों (by elections) को लेकर। दरअसल कमलनाथ सरकार (kamalnath government) के जाने के साथ ही 22 विधायकों ने जो इस्तीफे दिए थे उसके कारण खाली हुई सीटों पर आने वाले समय में उपचुनाव होने हैं। इसके साथ ही जौरा और आगर मालवा के विधायकों के असामयिक निधन के चलते 2 सीटें मिलाकर कुल 24 सीटों पर उपचुनाव प्रस्तावित हैं जो संभवत: सितंबर या अक्टूबर में होंगे। हैरत की बात यह है कि इन 22 सीटों में से सवा साल पहले कांग्रेस (congress) के टिकट पर चुनाव जीतकर आए विधायक अब बीजेपी (bjp) की ओर से ताल ठोकेंगे, और ऐसे में उनसे हार चुके बीजेपी के प्रत्याशी उनके लिए बड़ी चुनौती साबित होंगे।
सोशल मीडिया (social media) पर यह चुनौती दिखने भी लगी है। देवास (dewas) की हाटपिपलिया (hatpipliya) सीट से पिछला चुनाव कांग्रेस के टिकट पर जीते मनोज चौधरी (manoj chaudhary) अब बीजेपी में है और उनके सामने चुनाव हार चुके पूर्व मंत्री दीपक जोशी (dipak joshi) भी बीजेपी में। इन दोनों के समर्थकों के बीच जमकर सोशल वार (social war) हो रहा है। दीपक जोशी के समर्थक यह आरोप लगा रहे हैं कि मनोज चौधरी ने मोटी रकम लेकर कांग्रेस के साथ विश्वासघात कर भाजपा ज्वाइन की है और लिख रहे हैं कि दलबदलू की बीजेपी में कोई औकात नहीं। इसके जवाब में मनोज चौधरी के समर्थकों का कहना है कि बुझा हुआ दीपक किसी काम का नहीं और दीपक को क्षेत्र में हमेशा सब कुछ दिया उसके बावजूद उन्हें भले के लिए कुछ नहीं किया।
इसी तरह की स्थिति कमोबेश मध्य प्रदेश के हर क्षेत्र में, जहां उपचुनाव होने हैं बनी हुई है। ऐसे में इस बात की भी प्रबल संभावना है कि कांग्रेस रणनीति के तहत बीजेपी से चुनाव हार चुके हुए प्रत्याशियों पर दांव चले और क्योंकि उन प्रत्याशियों को भी पता है कि अब बीजेपी में कोई भविष्य नहीं और वे नई राजनीतिक राह की तलाश के लिए कांग्रेस का दामन थाम ले। ऐसे में आने वाला उपचुनाव रोचक होने वाला है, ये साफ नजर आता है।