भोपाल| मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए चुनाव आयोग तरह तरह के प्रयोग कर रहा है| अब आयोग ने नए सन्देश के साथ लोगों को वोट देने की अपील की है| जसको लेकर आपत्ति दर्ज कराई गई है| सामाजिक कार्यकर्ता और सदस्य, म प्र बाल अधिकार संरक्षण आयोग के पूर्व सदस्य विभांशु जोशी ने इसे बच्चो के खिलाफ बताया है| उनका कहना है कि इस आक्रामक संदेश में “ज़िद” शब्द का व्यापक प्रचार प्रसार हो रहा है जो मासूम बच्चो के विकास और परवरिश पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा। मासूम बच्चो में विवेक कम होता है इसलिए बच्चो के लिये ज़िद खतरनाक हो सकती है। उन्होंने इस सम्बन्ध में मुख्य चुनाव आयुक्त ओम प्रकाश रावत को पत्र लिखकर आपत्ति जाहिर की है और इस सन्देश में सुधर की मांग की है|
विभांशु जोशी ने पत्र में लिखा है मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी, मध्यप्रदेश का आक्रामक प्रचार संदेश “ज़िद करो-वोट करो” बच्चो के सर्वोत्तम हित मे नही है। इस आक्रामक संदेश में “ज़िद” शब्द का व्यापक प्रचार प्रसार हो रहा है जो मासूम बच्चो के विकास और परवरिश पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा। मासूम बच्चो में विवेक कम होता है इसलिए बच्चो के लिये ज़िद खतरनाक हो सकती है।
सरकार के प्रचार प्रसार में “ज़िद” जैसे आक्रामक शब्द का उपयोग उचित नही है। इसका प्रचार सार्वजनिक होने के कारण बच्चे भी “ज़िद करो” जैसे आक्रामक संदेश को पढ़ रहे है। इस आक्रामक संदेश का अनुसरण बच्चे अपने दैनिक जीवन में कर सकते है जो कि बच्चे के पालक के लिये लिये चिंतनीय होगा। उन्होंने कहा है भारत के संविधान के अनुच्छेद 39 (f) में लिखा है कि “राज्य अपनी नीति का इस प्रकार संचालन करेगा कि सुनिश्चित रूप से बालको को स्वतंत्र और गरिमामय वातावरण में स्वस्थ विकास के अवसर और सुविधाएं दी जाए”। आक्रामक शब्द “ज़िद” बच्चो के आचरण के लिये “स्वस्थ” नही है।साथ ही भारत सरकार की राष्ट्रीय बाल नीति-1974 में बच्चे को “Supremely Important Asset” कहाँ गया है। जोशी ने मांग की है कि बाल विशेषज्ञों की एक उच्च स्तरीय समिति बनाकर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी, मध्यप्रदेश के संदेश “ज़िद करो-वोट करो” कि समीक्षा हो और बच्चो के सर्वोत्तम हित में सुधार किया जाए।