अंग्रेजी को लेकर सीएम शिवराज ने कही ऐसी बात कि लग गए ठहाके, पढ़ें पूरी खबर

Atul Saxena
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट।  मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chauhan) ने आज राजधानी के भारत भवन में आयोजित “हिंदी की व्यापकता एक विमर्श” में बोलते हुए कहा कि हमें अपनी मातृभाषा पर गर्व होना चाहिए, मैं कई देशों में गया। अमेरिका, यूके गया विश्व विद्यालयों में गया वहां हिंदी में बोला मुझे तो गर्व महसूस हुआ। उन्होंने कहा कि आज आपसे बात करके बहुत आनंदित इसलिए हूँ कि यह चीज नीचे तक जाना चाहिए। यही इसका उद्देश्य है। यह भाव नीचे तक जाएगा और दृढ़मूल होगा, तब चुडैल उतरेगी।

मध्य प्रदेश (MP News) में एमबीबीएस की पढ़ाई जल्दी ही हिंदी में भी कराई जाएगी और ऐसे करने वाला ये देश का पहला राज्य होगा। गृह मंत्री अमित शाह कल 16 अक्टूबर को भोपाल में इसकी शुरुआत करेंगे। इससे पहले आज भारत भवन भोपाल में “हिंदी की व्यापकता एक विमर्श” कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान विशेष रूप से मौजूद थे।

शिवराज ने हिंदी को बढ़ावा देने और इस पर गौरव करने का आह्वान करते हुए अपने संस्मरण सुनाये। उन्होंने कहा कि मैं आपके सामने खड़ा हूँ। मैं दुनिया के कई देशों में गया हूँ, मुझे कहते हुए गर्व है मैं तो हिंदी में बोला। आपको केवल एक द्विभाषीय (ट्रांस्लेटर) ही तो चाहिए है। वह बोलेगा हमें बताएगा, हम बोलेंगे वह उन्हें बताएगा इसमें परेशानी क्या है? तुम्हारी भाषा पर तुम्हें गर्व है, हमारी भाषा पर हमें गर्व है।

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उन्होंने कहा कि मैं तो कोई यूनिवर्सिटीज में भाषण देकर आया,  यूएसए से लेकर यूके तक शानदार हिंदी में बोला। मैं आपसे सच कहता हूँ। अंग्रेजी बोलने पर कम तालियां बजती थी जो दूसरे बोलते थे। जब मैं अपनी मातृभाषा में बोलता था तो मुझे इज्जत और सम्मान के साथ देखा जाता था।

शिवराज ने कहा कि रूस में कौन अंग्रेजी को पूछता है, चीन में कौन अंग्रेजी को पूछता है, जापान में, जर्मनी में कौन पूछता है, फ्रांस में कौन पूछता है, इटली में कौन पूछता है? हम ही पता नहीं अंग्रेजी के कहां से गुलाम हो गए। हेलो, हाय, हाउ डू यू डू, सच में इस मानसिकता को मारने की जरूरत है।

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सीएम शिवराज ने इसी दौरान कुछ ऐसा कहा कि वहां मौजूद सभी लोग ठहाका लगाकर हंस दिए। उन्होंने कहा कि आज आपसे बात करके बहुत आनंदित इसलिए हूँ कि, यह चीज नीचे तक जाना चाहिए। यही इसका उद्देश्य है। यह भाव नीचे तक जाएगा और दृढ़मूल होगा, तब चुडैल उतरेगी।

कार्यक्रम में मौजूद  डॉक्टर्स को सम्बोधित करते हुए शिवराज ने कहा कि यहां गांव-गांव में डॉक्टर की जरूरत है, हिंदी में लिखेंगे, इसमें क्या दिक्कत है? दवाई का नाम क्रोसिन लिखना है तो क्रोसिन हिंदी में भी लिखा जा सकता है। उसमें क्या दिक्कत है? ऊपर श्री हरी लिखो और फिर क्रोसिन लिख दो।

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एक और संस्मरण सुनाते हुए शिवराज ने कहा कि एक सांसद हिंदी भाषी प्रांत से आते थे और जब बोले तो शानदार फर्राटेदार अंग्रेजी में बोले, मैंने बाद में पूछा तुम तो हिंदी जानते हो, हिंदी भाषी प्रांत से जीत कर आए हो, अंग्रेजी में भाषण क्यों दे रहे थे? वे बोले अरे अलग इंप्रेशन पड़ता है, मैंने कहा अंग्रेजी में भाषण देकर चुनाव जीतकर आ जाओगे क्या?

उन्होंने कहा कि एक नौजवान मुझे मिला बड़ा दुखी सा लग रहा था, मैंने कहा बात क्या है तो उसने कहा मेरे फादर डेड हो गए। अब लगता था अंग्रेजी कैसी भी बोलो अंग्रेजी आनी चाहिए। किसी ने लिखा आई लव माई कुरवाई, अब कुरवाई में कोई अंग्रेजी जाने या ना जाने लेकिन आई लव माई कुरवाई जरूर लिखेंगे, अब इसे आप क्या कहोगे?।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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