भोपाल। सत्ता में आने के बाद भी कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की सुनवाई नहीं हो रही है| इस बात का दुखड़ा अक्सर प्रभारी मंत्रियों के सामने कार्यकर्ता सुनाते है, मामला सीएम तक पहुँच चुका है| लेकिन हालात नहीं सुधरे तो एक बार फिर प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया ने मंत्रियों ने नसीहत दे डाली| केंद्र सरकार की घेराबंदी की रणनीति बनाने के लिए प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में बुलाई गई बैठक में जिलाध्यक्ष एवं अन्य पदाधिकारियों ने जमकर भड़ास निकाली। पार्टी नेताओं ने कहा कि मंत्री जब जिले के प्रवास पर आते हैं तो जिलाध्यक्षों को तवज्जो नहीं देते हैं। उनसे कहें कि वे कार्यकर्ताओं की समस्या सुन लें। नेताओं को आपत्ति थी कि कार्यकर्ताओं के काम भी नहीं हो रहे हैं। बाबरिया ने मंत्रियों को नसीहत देते हुए कहा कि अपने समर्थकों को आगे बढ़ाने के बजाए सक्रिय कार्यकर्ताओं को आगे बढऩे का मौका दें। सप्ताह में एक-एक दिन जनता और कार्यकर्ताओं के लिए मुलाकात का समय आरक्षित करें।
बैठक में प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया ने कहा कि राजनीति के नाम पर दुकान चलाने वालों पर गाज गिरेगी, फूल छाप कांग्रेसियों को बख्शा नहीं जाएगा। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि यह इम्तिहान की घड़ी है जनता को हमसे उम्मीदें ज्यादा हैं, सभी एकजुट रहें। उन्होंने वचन पत्र निगरानी के लिए समिति बनाने का ऐलान भी किया। प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में आयोजित अहम बैठक में सभी जिलों से कार्यकर्ता पदाधिकारी शामिल हुए।
बावरिया ने कहा कि 25 नवंबर को सभी जिलों में केंद्र के खिलाफ प्रदर्शन के लिए हर एक विधायक को प्रभारी बनाएं और संगठन से तालमेल करें। 14 दिसंबर को दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में होने वाले प्रदर्शन में बाबरिया ने हर जिले से औसत एक हजार कार्यकर्ता भेजने का टॉरगेट दिया। बैठक के दौरान कुछ कार्यकर्ताओं ने बैठक की कार्रवाई को सोशल मीडिया पर लाइव कर दिया। इस बात की भनक लगने पर बाबरिया नाराज हो गए। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने गोपनीयता भंग की है उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
जनता की उम्मीदें ज्यादा: कमलनाथ
बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि संगठन एकजुट होकर काम करे, ऐसे पदाधिकारी जो बिना सूचना के अनुपस्थित रहे उनके खिलाफ कार्रवाई होगी। उन्होंने यह भी कहा कि मैं आपकी मुश्किलें समझता हूं सभी को साथ लेकर चलना है। हमारे लिए यह इम्तिहान की घड़ी है क्योंकि जनता की उम्मीदें हमसे ज्यादा हैं।
लंबे समय से जमे पदाधिकारियों को हटाएं
बैठक में नेताओं ने सुझाव भी दिए। आठ-दस वर्षों से जिलाध्यक्ष अथवा एक ही पद पर जमे लोगों को हटाएं, नई लीडरशिप को मौका दें। संघर्ष करते हुए 15 साल बीत गए अब अपने खर्च से आंदोलन नहीं होगा, जिला इकाइयों को फंड भेजें। संघर्ष करते-करते सीनियर सिटीजन हो गए नेताओं को निगम-मंडलों में मौका दें। ऐसे कांग्रेसी जिन्होंने भाजपा शासन के दौरान मजे किए अब फिर सत्ता सुख पाने घुसपैठ करने लगे उन पर लगाम लगाएं।