भोपाल। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस ने कमलनाथ के नाम की घोषणा मुख्यमंत्री पद के लिए की थी। उससे पहले वह कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए थे। उनके सीएम बनने के बाद प्रदेश में कई नाम प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए सामने आए। लेकिन अब कांग्रेस ने कुछ हद तक इस बारे में रुख साफ कर दिया है। प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया ने बताया कि जिनको पार्टी लोकसभा में टिकट देगी वह प्रदेश अधयक्ष नहीं बनाए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि जिनको प्रदेश अध्यक्ष की कमान मिलेगी वह लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। जो जनता का प्रतिनिधित्व करेंगे उन्हें पार्टी से पद त्यागना होगा। बता दें प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ पहले ही मुख्यमंत्री बनाए जा चुके हैं। चार में से दो कार्यकारी अध्यक्ष जीतू पटवारी और बाला बच्चन भी कैबिनेट में शामिल हो गए हैं। फिलहाल पार्टी के सामने सबसे बड़ा लक्ष्य है लोकसभा चुनाव में प्रदेश से ज्यादा से ज्यादा सीट जीतना। अभी कांग्रेस के पास सिर्फ तीन लोकसभा सांसद हैं। जिनमें छिंदवाड़ा से कमलनाथ और गुना-शिवपुरी से ज्योतिरादित्य सिंधिया और झाबुआ संसदीय क्षेत्र से कांतिलाल भूरिया हैं।
सूत्रों के मुताबिक, पार्टी लोकसभा चुनाव में बीजेपी का सूपड़ा साफ करना चाहती है। पार्टी 20 से अधिक सीटें जीतने का मन बना रही है। इसलिए संगठन में फिलहाल कोई बड़ा बदलाव करने के मूड में नहीं है। अगर कोई भी बदलाव किया जाता है तो इसका सीधा असर लोकसभा चुनाव पर पड़ेगा। संगठन में बदलाव करने से कई समितियों पर इसका असर दिखेगा। जिससे सीधे तौर पर 3 हजार पदाधिकारी इस फैसले से प्रभावित होंगे। इसिलए पार्टी किसी भी तरह का खतरा मोल लेना नहीं चाहती जिससे आम चुनाव में विरोध का सामना करना पड़े।
कांग्रेस के मीडिया उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने कहा ‘फिलहाल हल पार्टी संगठन को मजबूत बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। चुनाव संबंधित मामलों को सुलझाने के लिए हम एक अनुशासनात्मक समिति का गठन भी करेंगे।’ विधानसभा चुनाव में मिले खासे समर्थन के बाद पार्टी ने केवट समाज की समिति का गठन के साथ उनका सम्मान समारोह भी रखा। अब कांग्रेस से नर्मदा नदी किनारे के मछुआरों की समिति बनाने का विचार कर रही है जो लोकसभा चुनाव में उसको लाभ दिला सकें।