भोपाल।
2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस ने तैयारियां तेज कर दी हैं। पांच राज्यों में मिली संजीवनी के बाद कांग्रेस अब नए जोश के साथ चुनाव की तैयारियों में जुटी है। इसके लिए कांग्रेस एक स्पेशल प्लान बना रही है।इस बार कांग्रेस का फोकस 24 सीटों पर है। इसके विधानसभा मे विजयी हुई मंत्रियों को भी जिम्मेदारी दी जाएगी कि वे विधानसभा की तरह लोकसभा में भी कांग्रेस के पक्ष में माहौल तैयार करे और वचनपत्रों में पूरे किए गए वादों को जनता के बीच लेकर जाए।हालांकि कांग्रेस को इस बात का विश्वास है कि विधानसभा चुनाव की तरह ही वह आम चुनाव में भी शानदार प्रदर्शन करेगी और अधिकाधिक सीटों पर जीत हासिल करेगी।
दरअसल, इस बार कांग्रेस का फोकस 24 सीटों पर है। कांग्रेस इस बार भाजपा के फार्मूले पर काम करने जा रही है। इसी लक्ष्य लेकर रणनीति तैयार की जा रही है।नए फार्मूले के अनुसार, लोकसभा चुनाव में विधानसभा में विजय हुए मंत्री भी अहम भूमिका निभाएंगें। इसके लिए मंत्रियों को भी लोकसभा सीट जिताने की रणनीति बनाए जाने पर विचार मंथन शुरू हुआ है। उनकी क्षमता को लोकसभा चुनाव में दी जाने वाली सीट की हार-जीत से जोड़े जाने की तैयारी है। इसके साथ ही कांग्रेस भाजपा के प्रभाव वाले जिलों पर अजमाइश करने की तैयारी में है।सूत्र बताते हैं कि जल्द ही कांग्रेस इन सीटों पर विशेष तौर पर किलेबंदी करके मौजूदा सांसदों के खिलाफ क्षेत्र में माहौल बनाने की शुरुआत करेगी। माना जा रहा है कि अगले महीने से कांग्रेस इन सीटों के लिए स्पेशल प्लान बनाकर काम करना शुरू करेगी।
इन मंत्रियों को दी जा सकती है जिम्मेदारी
विधानसभा में विजयी हुए मंत्रियों गोविंद सिंह राजपूत, बृजेंद्र सिंह राठौर, हर्ष यादव को सागर, टीकमगढ़ और दमोह सीटों की जिम्मेदारी दी जा सकती है। वहीं जबलपुर में लखन घनघोरिया, मंडला में ओंकार सिंह मरकाम, विदिशा में डॉ. प्रभूराम चौधरी, भोपाल में पीसी शर्मा व आरिफ अकील, देवास में सज्जन सिंह वर्मा, धार में उमंग सिंघार, बैतूल में सुखदेव पांसे, खरगोन व खंडवा में डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ व सचिन यादव तो इंदौर में दोनों मंत्री तुलसीराम सिलावट व जीतू पटवारी को लोकसभा चुनाव जिताने का जिम्मा सौंपने पर विचार चल रहा है।
विस चुनाव में इन सीटों पर रहा खासा असर
विधानसभा चुनाव के नतीजों को देखें तो कांग्रेस मुरैना, भिंड, ग्वालियर, गुना, दमोह, बालाघाट, मंडला, छिंदवाड़ा, राजगढ़, उज्जैन, रतलाम, धार, खरगोन, खंडवा लोकसभा क्षेत्रों में ही भाजपा के मुकाबले ज्यादा विधानसभा सीटें जीत सकी है, जबकि भाजपा ने सागर, टीकमगढ़, खजुराहो, सतना, रीवा, सीधी, होशंगाबाद, विदिशा, भोपाल, मंदसौर लोकसभा सीटों में कांग्रेस से ज्यादा विधानसभा सीटें जीती हैं। वहीं शहडोल, जबलपुर, देवास, इंदौर और बैतूल सीटों पर दोनों ही पार्टियों ने चार-चार विधानसभा सीटें जीती हैं।