भोपाल।
बीते कई दिनों से सत्ता की लड़ाई को लेकर एमपी में जो माहौल पनप रहा है उसे देखकर ये तो नही कहा जा सकता कि निकाय चुनाव कब होंगे, लेकिन उप सचिव राज्य निर्वाचन आयोग अरुण परमार ने ये स्पष्ट कर दिया है तो कौन कौन चुनाव लड़ सकेंगे और कौन नही।
दरअसल, नगरीय निकाय चुनाव में दोषसिद्ध/सजायाफ्ता अपराधी चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। इस संबंध में लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम एवं मध्यप्रदेश नगरपालिका अधिनियम में प्रावधान किये गये हैं।उप सचिव राज्य निर्वाचन आयोग अरुण परमार ने जानकारी देते हुए बताया कि भारतीय दण्ड संहिता के विभिन्न प्रावधानों के अधीन दण्डनीय किसी अपराध में दोषसिद्ध ठहराया गया हो, तो वह दण्डादेश भुगतने के बाद उसके छोड़े जाने से 6 वर्ष की अवधि तक नगरीय निकाय चुनाव नहीं लड़ सकता।
उन्होंने आगे बताया कि मध्यप्रदेश नगरीय क्षेत्रों के भूमिहीन व्यक्ति के किन्हीं उपबंधों के या जमाखोरी अथवा मुनाफाखोरी के निवारण का अथवा खाद्य या औषधि के अपमिश्रण के निवारण का उपबंध करने वाली किसी विधि के किन्हीं उपबंधों के उल्लंघन के लिये सिद्धदोष ठहराया गया हो, तो वह दण्डादेश भुगतने के बाद उसके छोड़े जाने से 6 वर्ष की अवधि तक नगरीय निकाय चुनाव नहीं लड़ सकता। भ्रष्टाचार या राज्य के प्रति अभक्ति के कारण सरकार या किसी स्थानीय प्राधिकारी की सेवा से पदच्युति से 5 वर्ष तक चुनाव लड़ने की पात्रता नहीं रहेगी।
मुख्य नगर पालिका अधिकारी निलंबित
आयुक्त नगरीय प्रशासन एवं विकास पी. नरहरि ने श्री बन्ने सिंह सोलंकी, मुख्य नगर पालिका अधिकारी, नगर परिषद, तराना, जिला उज्जैन को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। श्री सोलंकी पर कार्यालय से अनुपस्थित रहने एवं नगर परिषद के आवश्यक कार्यों एवं महत्वपूर्ण योजनाओं के क्रियान्वयन में लापरवाही बरतने के आरोप में यह कार्यवाही की गई है। सोलंकी का निलंबन अवधि के दौरान मुख्यालय संभागीय कार्यालय, संयुक्त संचालक, नगरीय प्रशासन एवं विकास उज्जैन संभाग उज्जैन रहेगा। निलंबन अवधि में श्री सोलंकी को नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ता प्राप्त करने की पात्रता होगी।