भोपाल, डेस्क रिपोर्ट
कोरोना संक्रमण रोकने की जिम्मेदारी जिन पर है, उन पर ही नियमों के उल्लंघन के आरोप लग रहे हैं| मप्र के जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट (Tulsi Silavat) ने रविवार को इंदौर में रेसीडेंसी कोठी में कोरोना को लेकर प्रशासन के अधिकारियों के साथ बैठक की। ख़ास बात ये है कि कोरोना पॉजिटिव (Corona Positive) पाए जाने के बाद अरबिंदो अस्पताल में भर्ती तुलसी सिलावट को 14 अगस्त को ही अस्पताल से छुट्टी मिली थी और 16 अगस्त को उन्होंने अधिकारियों की बैठक ले ली। कांग्रेस (Congress) ने इसको लेकर सवाल उठाये हैं|
मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के मीडिया समन्वयक नरेन्द्र सलूजा ने प्रदेश के जलसंसाधन मंत्री तुलसी सिलावट पर कोरोना के प्रोटोकाल व गाइडलाइन के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए कहा कि मंत्री सिलावट कोरोना से संक्रमित होकर अरविंदो अस्पताल में भर्ती थे , वे दो दिन पूर्व 14 अगस्त को ही अस्पताल से वे डिस्चार्ज हुए है। 16 अगस्त को उन्होंने इंदौर में रेसीडेंसी कोठी में अधिकारियों की कोरोना की समीक्षा व जागरूकता के विषय पर बैठक आहूत की। जबकि कोरोना की गाइडलाइन के अनुसार व आईसीएमआर द्वारा तय मापदंड अनुसार उन्हें डिस्चार्ज होने के बाद नियमानुसार 7 दिन होम आईसोलेशन में रहना था लेकिन वे दो दिन बाद ही बैठक ले रहे है।
कोरोना की गाइडलाइन का मजाक उड़ा रहे मंत्रीजी
उन्होंने कहा कि तुलसी सिलावट ऐसा कर कोरोना की गाइडलाइन व नियमो का मज़ाक़ उड़ा रहे है। इस हिसाब से तो कोरोना को लेकर जागरूकता की सबसे ज़्यादा आवश्यकता ख़ुद मंत्री सिलावट को ही है। उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमित आम व्यक्ति अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद इस नियम का पालन करता है। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज से लेकर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा व अन्य कोरोना से संक्रमित मंत्रीगण, विधायको ने भी इस नियम का पालन किया है। लेकिन सिलावट ने ऐसा नहीं किया|
सिंधिया के साथ रहने के लिए किया नियमों का उल्लंघन
सलूजा ने कहा शायद मंत्री सिलावट ने यह इसलिये किया है कि एक दिन बाद ही उनके नेता सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया का इंदौर- उज्जैन का दौरा कार्यक्रम है , वो उनके साथ इस दौरे में रहना चाहते है , इसलिये उन्होंने एक दिन पूर्व ही नियमो का उल्लंघन कर दिया। सलूजा ने कहा कि इसके पूर्व भी मंत्री सिलावट ने भोपाल में मुख्यमंत्री शिवराज जी से मुलाक़ात की थी और मुख्यमंत्री जब कोरोना पाजीटीव निकले थे , तब उनकी अपील के बावजूद भी उन्होंने अपनी कोरोना की जाँच देरी से करवायी और रिपोर्ट आने तक भी साँवेर में हज़ारों लोगों से मिलते रहे। प्रदेश के कई मंत्रीगण इसी प्रकार कोरोना के प्रोटोकाल का मज़ाक़ उड़ा रहे है। मुख्यमंत्री की अपील व निर्देशो का उन पर कोई असर नहीं है। ऐसे मंत्रियो को मुख्यमंत्री को तत्काल मंत्रिमंडल से बाहर कर देना चाहिये।