भोपाल। कोरोना वायरस ने देश प्रदेश और पूरी दुनिया की व्यवस्था हिलाकर रख दी है। इस अनदेखे अनजाने वायरस के कारण जीवन का सारा सुव्यवस्थित ढांचा बदल गया है। दुनिया घरों में सिमट गई है और दफ्तर वर्क फ्रॉम होम हो गए हैं। वहीं अब मध्यप्रदेश में बच्चों को स्कूलों मे मिलने वाला मिड डे मील भी इसके दायरे में आ गया है।
सरकार ने निर्णय लिया है कि जब तक कोरोना वायरस का खतरा टल नहीं जाता, बच्चों को स्कूलों में पका हुआ मिड डे मील नहीं दिया जाएगा। उसके स्थान पर बच्चों को अनाज दिया जाएगा जिसे उनके घर पर पकाया जा सकता है। फिलहाल बच्चों को मार्च और अप्रैल माह का अनाज दिया जाएगा और ये फैसला अगले आदेश तक जारी रहेगा।
कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने से रोकने के लिये सरकार ने एहतियातन कदम उठाते हुए ये बड़ा फैसला लिया गया है। खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के प्रावधानों के अंतर्गत मार्च के 11 दिन और अप्रैल के 22 मिलाकर कुल 33 शैक्षणिक दिवस के हिसाब से मिड डे मिल का अनाज बच्चों को दिया जाएगा। खास बात ये कि ये अनाज सभी बच्चों को मिलेगा और किसी का कोटा काटा नहीं जाएगा, स्कूलों में शत प्रतिशत उपस्थिति के आधार पर अनाज वितरण होगा। बता दें कि प्राथमिक शाला में प्रत्येत विद्यार्थी को 3300 ग्राम और माध्यमिक शाला में 4950 ग्राम अनाज देने की व्यवस्था है। अब ये राशन बांटने के लिये स्व-सहायता समूहों, रसोइयों, ग्राम पंचायतों और शाला प्रबंधन समितियों की सहायता ली जाएगी।