भोपाल
इस मुश्किल घड़ी में देवदूत बन जो डॉक्टर (doctors) कोरोना (corona) संक्रमित मरीज़ों का इलाज करने का बीड़ा उठाए हुए है, अब उन्ही के साथ समाज (society) का द्वेषपूर्ण (misbehave) सामने आ रहा है। दरअसल कोरोना संक्रमितों का इलाज करते हुए अब डॉक्टर (doctors) और नर्सेज (nurses) खुद इस संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं। अगर भोपाल (bhopal) की बात करें तो यहाँ बीते दिनों में कई डॉक्टर और नर्स इस भयानक बीमारी की चपेट में आ चुके हैं। इसके बाद कई लोगों ने इस बीमारी को हराकर इस पर जीत भी हासिल की। लेकिन इन वॉरियर्स (warriors) की इस बात पर हौसला अफजाई नहीं बल्कि इन्हे समाज के अजीब रवैये का सामना करना पढ़ रहा है
देखने में आ रहा है कि जब ये स्वास्थ्यकर्मी (doctors) कोरोना को हराकर अपने घर पहुंच रहे हैं, इनके साथ एक तरह से भेदभावपूर्ण (misbehave) व्यवहार किया जा रहा है। आस पड़ोस वाले इनके साथ अपराधियों जैसा व्यवहार कर रहे हैं। हर समय इनके साथ रहने वाले लोगों ने भी इनसे पल्ला झाड़ लिया है।
नाम ना बताने की शर्त पर स्वास्थ्य विभाग (health department) के एक अफसर (officer) ने बताया की उन्हें जब कोरोना पॉज़िटिव (corona positive) निकला तब उन्हें लेने आये पुलिस अफसर ने कहा देखो कोरोना जा रहा है। ना जाने अब तक कितने लोगों को कर दिया होगा। यहाँ तक की मेरे पूरे परिवार को जब क्वारंटाइन किया गया तो उनके प्रति सभी का बर्ताव बदल गया। बहुत समय तक मेरे घर सब्जी वाला, कचरे वाला, दूध वाला सामान देने तक नहीं आए थे। एक अन्य अफसर ने बताया की उन्हें तो ठीक होने के बाद भी सोसाइटी ने लिफ्ट प्रयोग करने से मना कर दिया।साथ ही जो दुकानदार सोसाइटी में जरूरत की चीज़ें देने आते थे उनसे भी कह दिया गया की अगर आप इनके घर में सामान देंगे तो हम आपसे सामान नहीं लेंगे। इसके साथ ही एक स्वास्थ्य कर्मचारी से तो सोसाइटी का गेट छूने पर उनसे गेट को साफ़ तक कराया गया। हद तो तब हो गयी जब इसी विभाग के एक कर्मचारी 5 दिन पहले ही ठीक होकर अपने घर पहुंचे तो सोसाइटी वालों ने उनके घर के बाहर लगे चैनल पर ताला लगा दिया ताकि वो घर से ही बाहार ही न निकल पाए। ये सारे मामले राजधानी भोपाल जैसी जगह से सामने आ रहे हैं तो अंदाज़ा लगया जा सकता है कि छोटे शहर और कस्बों का क्या हाल होगा।