Bhopal News : हुक्का बार के बाद ई-सिगरेट और ई हुक्के का युवक-युवतियों में बढ़ा क्रेज

Amit Sengar
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E-Cigarette : हुक्का बार पर तिरछी नजर होते ही प्रदेश में डार्क वेब पुलिस के लिए चुनौती बन गया है। डार्क वेब ड्रग युवाओं तक पहुंचा रहा है। ड्रग्स डीलरों और नशे के तस्करों पर शिकंजा कसने के बाद नशे की लत वाले युवा इंटरनेट प्लेटफार्म पर शिफ्ट हो गए हैं।

क्या है पेन या वेब हुक्का?

पेन या वेब हुक्का में सामान्य सिगरेट या हुक्के की तरह तंबाकू नहीं होता है, बल्कि तरल निकोटिन की कार्टेज होती है। जो सिगरेट या हुक्केमें तंबाकू की तरह जलता नहीं, बल्कि गर्म होकर भाप में बदलता है। जिसकी वजह से तंबाकू के जलने जैसी गंध, घुंआ और टार भी नहीं निकलता। भांप को कश लगा कर खींचा जाता हैं जो आम सिगरेट और हुक्के के कश जैसा महसूस होता है। कश लगाने पर एक छोटी एलइडी लाइट भी जलती है। कुछ पेन हुक्का यानी ई-सिगरेट यूज एण्ड थ्रो होते हैं तो अधिकतर मॉडलों में चार्जबेल बैटरी व रिफिल कार्टेज होते हैं।

युवतियां भी चपेट में

ई- हुक्का व सिगरेट इनकी बैटरी व कॉर्टेज अधिक समय तक चलती है। विभिन्न किस्म के फ्लेवर व आम सिगरेट के जैसी दुर्गन्ध नहीं होने के कारण सिर्फ लडक़े ही नहीं, लड़कियां भी बड़ी संख्या में इनका उपयोग कर रही है। स्कूल व कॉलेज के छात्र-छात्राओं में इसका आकर्षण बढ़ रहा है।

खतरनाक है ई-सिगरेट व हुक्का

ई-सिगरेट का आविष्कार शुरू में इसे परंपरागत सिगरेट छोडऩे के विकल्प के रूप में हुआ था, कहा गया था कि इससे आम सिगरेट के मुकाबले 90 फीसदी कम नुकसान होता है। इसमें मौजूद तरल निकोटिन में विभिन्न किस्म के फ्लेवर व अन्य चीजों की मिलावट के चलते सिगरेट छोडऩे वालों में तो लोकप्रिय नहीं हुई, बल्कि युवा इसके शिकंजे में फंसने लगे।

Bhopal News : हुक्का बार के बाद ई-सिगरेट और ई हुक्के का युवक-युवतियों में बढ़ा क्रेज

सेहत के लिए खतरनाक

डॉ. शीतल बेलानी संतनगर ने बताया कि निकोटिन की मौजूदगी ह्रदय, लीवर, किडनी, फेफड़ों, गले व मुंह के लिए खतरनाक है। जो कैंसर व अन्य रोगों का खतरा बढ़ा देती है। इतना ही नहीं, एडिक्ट होने पर व्यक्ति को शारीरिक व मानसिक रूप से भी नुकसान पहुंचाती है। 2018 में अमरीका में हुई रिसर्चमें इसकी पुष्टि हुई है।

अमित कुमार साफ्टवेयर एक्सपर्ट ने कहा कि डार्क वेब के जरिए गांजा व अन्य नशे का सामान मध्यप्रदेश में हैदराबाद व नेपाल से आ रहा है। यह होता है डार्क वेब इंटरनेट का दुनिया का केवल दस फीसदी हिस्सा इस्तेमाल किया जाता है, इसे सरफेस वेब कहते हैं। 90 प्रतिशत हिस्सा डार्क वेब है। ये सर्च इंजन पर लिस्टेड नहीं होता है, इस पर चल रहीं आदि को सीधे सर्च नहीं किया जा सकता।

भोपाल से रवि नाथानी की रिपोर्ट


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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