किसान से करोड़ों की ठगी, प्रॉपर्टी डीलर राजेश शर्मा ने साथियों के साथ मिलकर लगाया चूना, ट्राइडेंट मल्टीवेंचर्स पर EOW ने दर्ज की FIR

ईओडब्ल्यू के मुताबिक इस पूरे प्रकरण का मास्टरमाइंड राजेश शर्मा है। वह अपनी पत्नी राधिका शर्मा के साथ मिलकर "मेसर्स ट्राईडेंट मल्टी वेन्चर्स" भागीदारी फर्म का संचालन करता है, जो इस फर्जी लेन-देन में उपयोग की गई।

भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी, धोखाधड़ी पर सख्त एक्शन के बावजूद लोगों की आदतों में कमी नहीं आ रही है, EOW यानि  आर्थिक अपराध शाखा लगातार भष्ट शासकीय सेवकों पर कार्रवाई कर रही है अब उसने एक निजी फर्म के कर्ताधर्ताओं पर एफआईआर दर्ज की है, मामला एक किसान के साथ करोड़ों रुपये की ठगी का है।

राजधानी भोपाल में एक किसान के साथ 2 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी का मामला सामने आया है, प्रॉपर्टी डीलर ने किसान को गुमराह कर उसकी बेशकीमती ज़मीन की रजिस्ट्री कम कीमत में कराई, किसान को गुमराह कर नया बैंक खाता खुलवाया एवं उसमें स्वयं का मोबाइल नंबर डलवाया और फिर किसान के बैंक खाते को स्वयं ऑपरेट कर अपने खाते में पैसे 2 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर लिए। शिकायत की जाँच के बाद EOW में क्रेता फर्म “ट्राइडेंट मल्टीवेंचर्स” के मालिकों एवं कर्मचारियों पर FIR दर्ज कर ली है।

किसान से धोखा, संगठित साजिश रचकर जमीन खरीदी

ईओडब्ल्यू भोपाल से मिली जानकारी के मुताबिक शिकायतकर्ता किसान चिंता सिंह मारण, निवासी रातीबड़, भोपाल, की कृषि भूमि (खसरा क्र. 01, रकबा 12.46 एकड़, ग्राम महुआखेड़ा, भोपाल) जो उच्च न्यायालय के आदेश से नामांतरण के बाद उनके नाम दर्ज हुई थी, उसे एक संगठित साजिश के तहत आरोपियों ने धोखाधड़ी से खरीद लिया। कस्तूरबा नगर, भोपाल निवासी राजेश शर्मा एवं उनकी पार्टनरशिप फर्म “मेसर्स ट्राईडेंट मल्टीवेंचर्स” ने धोखाधड़ी से न केवल शिकायतकर्ता से विक्रय पत्र पर हस्ताक्षर कराए, बल्कि विक्रय पत्र (रजिस्ट्री) में उल्लेखित भुगतान की राशि भी विक्रेता के खाते से धोखा देकर वापस निकाल ली।

बैंक खाता खुलवाया, किसान की जगह अपना मोबाइल नंबर डाला

राजेश शर्मा ने स्वयं को प्रभावशाली बताते हुए चिंता सिंह को नामांतरण संबंधी समस्या सुलझाने और भूमि खरीदने का झांसा दिया। चिंता सिंह की कृषि भूमि की रजिस्ट्री के समय राजेश शर्मा ने शिकायतकर्ता को यह कहकर बहकाया कि “बैंक ऑफ इंडिया” के खाते में तकनीकी दिक्कत के कारण पूरी रकम ट्रांसफर नहीं हो सकती, अतः नया खाता ICICI बैंक में खुलवाना पड़ेगा। प्लानिंग के तहत आरोपी राजेश शर्मा ने ICICI बैंक, नेहरू नगर शाखा, भोपाल के कर्मचारियों को अपने घर बुलवाया। वहां चिंता सिंह से अंगूठे के निशान व हस्ताक्षर फॉर्म पर लिए गए, लेकिन उसने चिंता सिंह के मोबाइल नंबर की जगह दूसरा मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी भर दिए। जो मोबाइल नंबर राजेश शर्मा ने लिखा वो उसके सहयोगी राजेश कुमार तिवारी का था।

गलत तथ्य दिखाकर करा ली जमीन की  रजिस्ट्री 

इन लोगों ने 12 जून 2023 को ग़लत तथ्यों के आधार पर, रजिस्ट्रार को आवेदन प्रस्तुत कर, ऑन-साइट प्रक्रिया के माध्यम से विक्रय पत्र तैयार कर रजिस्ट्री करा ली , जिसमें मैसर्स ट्राईडेंट मल्टीवेन्चर्स को खरीदार बताया गया। बाद में 2,86,16,000 रुपये में उनकी भूमि फर्म “मेसर्स ट्राईडेंट मल्टीवेंचर्स” के नाम पर रजिस्ट्री करवा ली गई। षड्यंत्र के तहत  रजिस्ट्री में 2.86 करोड़ रुपये का लेनदेन दर्शाया गया, परंतु शिकायतकर्ता को केवल 81 लाख  रुपये के लगभग राशि ही प्राप्त हुई। तीन चेक (22 लाख प्रत्येक) दिए गए, परंतु उन्हें ‘स्टॉप पेमेंट’ कर वापस ले लिया गया। रजिस्ट्री की प्रति भी शिकायतकर्ता को नहीं सौंपी गई।

भुगतान 2,86,16,000/- रुपये का किसान को मिले 81,13,840/-रुपये 

रजिस्ट्री के अनुसार, 2,86,16,000/- रुपये के भुगतान का उल्लेख किया गया, लेकिन जांच में सामने आया कि किसान चिंता सिंह को 81,13,840/-रुपये ही मिले शेष 2,02,16,000/- रुपये राजेश तिवारी के खाते में ट्रांसफर करा लिए गए और सीधे सादे किसान को भनक तक नहीं लगने दी।

EOW ने तीनों आरोपियों पर दर्ज की एफआईआर 

आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ की जांच में जमीन के फर्जी सौदे और झूठे भुगतान दिखाकर करोड़ों रुपये की कृषि भूमि हड़पने की एक संगठित साजिश सामने आई है। सत्यापन के बाद प्रकरण में आरोप प्रमाणित पाए जाने पर इस पूरे मामले में जांच के बाद आरोपी राजेश शर्मा, दीपक तुलसानी और राजेश तिवारी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 467, 468, 471, 120बी और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66C व 66D के तहत अपराध दर्ज किया गया है।

धोखाधड़ी में किसकी क्या भूमिका 

  • राजेश शर्मा- ईओडब्ल्यू के मुताबिक इस पूरे प्रकरण का मास्टरमाइंड राजेश शर्मा है। वह अपनी पत्नी राधिका शर्मा के साथ मिलकर “मेसर्स ट्राईडेंट मल्टी वेन्चर्स” भागीदारी फर्म का संचालन करता है, जो इस फर्जी लेन-देन में उपयोग की गई। भूमि का नामांतरण से लेकर पूरे घटनाक्रम की योजना, दस्तावेजों का निर्माण, बैंक खाते की धोखाधड़ी और चेक स्टॉप पेमेंट के निर्णय, 2 करोड़ रुपये की राशि ट्रांसफर सभी राजेश शर्मा के द्वारा और निर्देश पर किए गए।
  • दीपक तुलसानी – ट्राईडेंट मल्टी वेन्चर्स फर्म का अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता एवं प्रतिनिधि होने के कारण विक्रय पत्र में खरीदार के रूप में उसका नाम दर्ज है। हालांकि उन्होंने रजिस्ट्री में पार्टनर की हैसियत से हस्ताक्षर किए हैं जबकि ऐसा नहीं था। हालांकि व्यवहारिक रूप से न तो वह भूमि की खरीद में संलिप्त था, न भुगतान करता था वह केवल एक कागजी चेहरे के रूप में उपयोग में लाया गया। वह राजेश शर्मा के साथ इस कूटरचित दस्तावेज के निर्माण में प्रत्यक्ष रूप से शामिल पाया गया।
  • राजेश कुमार तिवारी – ये राजेश शर्मा का नजदीकी तकनीकी सहयोगी है और पूरे डिजिटल लेन-देन और फर्जी बैंकिंग ऑपरेशन में सक्रिय रहा। ICICI बैंक शाखा नेहरू नगर में चिंता सिंह मारण के नाम से खोले गए खाते में  राजेश तिवारी का ही मोबाइल नंबर और ईमेल दर्ज कराया गया, जिससे वह खाते को स्वयं ऑपरेट कर सके।

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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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