2018 के बाद एक बार फिर से रामेश्वर और डागा की मुलाकात, कहा – चुनाव तो लडूंगा

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Bhopal News : हुजूर विधानसभा पर एक बार फिर से 2018 वाला समीकरण दोहराया जा रहा है। 2018 में भी डागा और MLA रामेश्वर की डागा हाउस में मुलाकात हुई थी और डागा ने नरेश ज्ञानचंदानी को अपना समर्थन दे दिया था और कांग्रेस ज्वाइन कर ली थी। एक बार फिर से 2023 के चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी रामेश्वर शर्मा कांग्रेसी नेता जितेन्द्र डागा के घर पर पहुंचे और उनसे वोट की अपील की।

बताया जा रहा है कि करीब आधा घंटे चाय-नाश्ता हुआ, बाहर निकले तो सियासत में जैसा होता है, वैसा ही हुआ। रामेश्वर ने कहा वोट मांगने आया था, डागा बोले- फोन आया था मिलने आए थे, मुलाकात हुई है। कांग्रेस से टिकट न मिलने से डागा खासा नाराज हैं। वह कांग्रेस को सबक सिखाने के लिए चुनाव मैदान में अभी तक हैं। गुरुवार को नाम वापसी का अंतिम दिन है। नाम वापसी के पहले का घटनाक्रम पिक्चर के रूप में लगभग धीरे-धीरे साफ होता जा रहा है वैसे दोनों नेताओं के बीच 36 का आंकड़ा है, एक दूसरे को लेकर तल्ख बयान कई बार सामने आ चुके हैं। लेकिन राजनीति में आस्था परिस्थिति और समय के हिसाब से बदलते रहते हैं। हो सकता कोई नया चित्र उकरने के लिए यह मुलाकात हुई हो।

डागा ने कहा – चुनाव तो लडूंगा

मीडिया के सामने रामेश्वर ने कहा कुछ नहीं, लेकिन मुलाकात को लेकर कहा- वोट मांगने आया था। चाय पीने आया था। मुलाकात अच्छी रही है। लेकिन डागा कैमरे के सामने बोले- डागा ने कहा, फोन आया था पूछा था कहा हों- मैंने कहा घर पर हूं। बोले- मिलना चाहता हूं मैने कहा आ जाओ। सौजन्य भेंट हुई है। डागा से पूछा क्या- चुनाव को लेकर मन बदल रहा है तो डागा ने कहा- चुनाव तो लडूंगा।

 

टिकट न मिलने से नाराज है डागा

बैरागढ़ की राजनीति पर नजर रखने वालों का कहना है कि डागा को पांच साल पहले दिग्विजय सिंह ने कांग्रेस ज्वॉइन कराई थी, वादे किए। मगर वादों के हिसाब से डागा तैयारी भी कर रहे थे। टिकट न मिलने से वह नाराज हैं। रामेश्वर-डागा की मुलाकात का नतीजा जल्द सामने आएगा। डागा चुनाव से कदम वापस खींचे न खींचे लेकिन कांग्रेस को डैमेज तो करेंगे।

भोपाल से रवि कुमार की रिपोर्ट


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Amit Sengar

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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है। वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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