भोपाल| कोरोना संक्रमण काल के मद्देनजर प्रदेश सरकार ने कॉलेज स्टूडेंट को बिना परीक्षा लिए उन्हें अगली क्लास में प्रवेश देने का फैसला लिया है। लेकिन यह आदेश मेडिकल छात्रों पर लागू नहीं होता है| जिसके चलते इंडियन मेडिकल असोसिएशन (IMA) मेडिकल स्टूडेंट नेटवर्क (MSN) ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, महासचिव एमसीआई दिल्ली और कुलपति MPPmSU जालपुर को पत्र लिखकर जनरल प्रमोशन की मांग की है|
पत्र में कहा गया है की देश के विभिन्न कॉलेजों के छात्रों को सामान्य पदोन्नति के आदेश से मध्यप्रदेश के छात्र समुदाय को बहुत खुश कर दिया है लेकिन हम सब यह जानकर बहुत निराश हुए हैं कि यह आदेश मेडिकल छात्रों पर लागू नहीं होता है| एक बार फिर आपने हमें संघर्ष के लिए छोड़ दिया है| वास्तव में एक मेडिकल छात्र अपने जीवन काल में किसी भी अन्य व्यक्ति की तुलना में अपने पाठ्यक्रम के दौरान अधिकत संघर्ष का सामना करता है| इस तरह का बर्ताव कर आपने हमें दयनीय स्थिति में छोड़ दिया है| हम देश के भावी चिकित्सक हैं फिर भी हमारे साथ ऐसा सौतेला व्यवहार क्यों|
पत्र में कहा गया कि कोरोना संकट के इस दौर में छात्रों के मनोबल एवं मानसिक स्थिति पर कितना बुरा प्रभाव डाला है, ऐसे में क्या उन पर परीक्षा का दाव देना उचित है, वर्तमान स्थिति के मद्देनजर कोई भी छात्र तथा उनके माता-पिता यह नहीं चाहते हैं कि उनके बच्चे परीक्षा देने के लिए कॉलेज जाएं| सोशल डिस्टेंसिंग और स्वच्छता के उपायों के सख्त पालन के विषय में भी छात्र आशंकित है क्योंकि वह 14 दिन की संगरोध के बिना अपने छात्रावासों की यात्रा करने में असमर्थ है | बहुत से छात्र जो छात्रावास में नहीं रहते, किराए के मकान में रहते हैं उनकी अलग परेशानियां हैं | उनके मकान मालिक उन्हें घर में आने की अनुमति नहीं देंगे और फिर बहुत से छात्रों के पास उस समय परीक्षा केंद्रों में पहुंचने के लिए कोई साधन नहीं है जिसके कारण वह समय पर परीक्षा दे पाने में असमर्थ होंगे | अगर बस भी उपलब्ध कराई जाती है तब भी सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों की धज्जियां उड़ना तय है।
बहुत से छात्र ऐसे हैं जिनके घर में बुजुर्ग जन भी है ऐसे में छात्रों द्वारा उनके परिवार में संक्रमण फैलाने का खतरा हमेशा रहेगा इस दिशा निर्देशों के अनुसार यह छात्र मास्क और दस्ताने पहने हुए परीक्षा दे रहे होंगे और सैनिटाइजर की आवश्यकता होगी| इसलिए प्रत्येक छात्र को सस्ती कीमत पर इन चीजों की उपलब्धि भी चिंता का विषय है| उचित इंटरनेट सेवाओं तथा अध्ययन सामग्री के बिना गांव में फंसे रेड जोन तथा कंटेंटमेंट एरिया के छात्र अपने शहरी समकक्ष की तुलना में एक निश्चित नुकसान में है इसी तरह स्वास्थ्य सेवा और नर्सिंग संकाय से चुने गए पर्यवेक्षकों को छात्र समुदाय के बीच संक्रमण फैलाने का एक बड़ा खतरा भी पैदा होता है| परीक्षा लेने से सबसे अधिक नुकसान तीसरे वर्ष के छात्रों को है| फरवरी-मार्च में होने वाली परीक्षा कई स्थानों पर स्थगित कर दी गई है मगर कई स्थानों पर जनवरी में ही परीक्षा संपूर्ण हो गई | आई एम ए एमएसएन एमपी उच्च अधिकारियों से चिकित्सा शिक्षा विभाग से आवश्यक कार्रवाई करने और सभी मेडिकल छात्रों को जनरल प्रमोशन की मांग करता है|