भोपाल।
एमपी में राज्यसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर है। 5 मार्च से तीन सीटों के नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। माना जा रहा है कि आने वाले हफ्ते में राज्यसभा चुनाव का ऐलान हो सकता है। ऐसे में कांग्रेस अबतक ये तय नही कर पाई है कि किसे राज्यसभा भेजा जाना है। हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया अबतक दो प्रबल दावेदार बताए जा रहे है। वही प्रियंका गांधी के भी राज्यसभा भेजे जाने की मांग तेज हो चली है। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव समेत एक दर्जन कमलनाथ सरकार के मंत्रियों ने प्रियंका को राज्यसभा भेजे जाने की मांग उठाई है।
दरअसल, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा और सत्यनारायण जटिया का कार्यकाल 9 अप्रैल को समाप्त हो रहा है, ऐसे में प्रदेश की तीन सीटों पर चुनाव होना है। फिलहाल दो भाजपा के पास हैं और एक सीट पर कांग्रेस का कब्जा है।संख्याबल से देखे तो इस बार कांग्रेस के हिस्से में दो सीटें आ रही हैं।इनमें पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और पूर्व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया इन सीटों पर सबसे बड़े दावेदार के रुप में सामने आए हैं। एक सीट दिग्विजय सिंह का कार्यकाल पूरा होने से ही खाली हो रही है। दिग्विजय सिंह को एक बार फिर से राज्यसभा भेजा जा सकता है। वही सिंधिया को राज्यसभा भेजे जाने की अटकलों के बीच अब प्रियंका गांधी को एमपी से राज्यसभा भेजे जाने की मांग उठने लगी है।
सोमवार को उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी और नगरीय प्रशासन मंत्री जयवर्द्धन और गृह मंत्री बालाबच्चन समेत राज्य सरकार के अन्य मंत्रियों मध्यप्रदेश से कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को मध्यप्रदेश से राज्यसभा भेजे जाने की बात कही है।सामान्य प्रशासन मंत्री डॉ. गोविंद सिंह ने कहा कि राज्यसभा में किसे भेजा जाए यह फैसला पार्टी आलाकमान को करना है। उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी ने कहा कि यह बड़े फैसले हैं जिन पर फैसला शीर्ष नेतृत्व लेता है। नगरीय प्रशासन मंत्री जयवर्द्धन सिंह ने कहा कि प्रियंका गांधी को मप्र से राज्यसभा में भेजा जाए यह बड़ी खुशी की बात होगी। प्रियंका गांधी आगे बढ़ेंगी, इसका फायदा पूरी कांग्रेस पार्टी को मिलेगा।
वही पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव ने राहुल गांधी को राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रियंका गांधी को मप्र से राज्यसभा में भेजे जाने की वकालत की है।यादव ने ट्वीट कर लिखा कि समय आ गया है कि राहुल गांधी जी को एक बार पुनः पार्टी की कमान सौंपी जाए,यह भी सामयिक होगा कि प्रियंका गांधी जी को मप्र से राज्यसभा में प्रतिनिधित्व करने का अवसर दिया जाए ताकि फासीवादी विचारधारा के ख़िलाफ़ जमीनी संघर्ष की धार को और अधिक तीखा किया जा सके।हैरानी की बात ये है कि मांग ऐसे समय पर उठाई गई है जब कांग्रेस में गुटबाजी और अंतर्कलह हावी हो।उधर, सिंधिया की नाराजगी भी सियासत गर्माए हुए है।ऐसे मे देखना रोचक होगा कि पार्टी इस मांग को कितना तवज्जो देती है।
रोचक होगा मुकाबला
निर्वाचन के लिए कम से कम 58 विधायकों के वोटों की जरूरत है। यानी कांग्रेस और भाजपा अपने एक-एक उम्मीदवार को राज्यसभा में आसानी से पहुंचा सकते हैं। लेकिन तीसरे प्रत्याशी के रूप में कांग्रेस की राह भाजपा के मुकाबले आसान है। तीसरी सीट के लिए निर्दलीय विधायकों की भूमिका अति महत्वपूर्ण होगी। एक सदस्य के लिए 58 विधायकों के वोट की जरूरत पड़ती है, इस लिहाज से तीसरी सीट के लिए कांग्रेस के 56 और भाजपा के पास 50 विधायक बचेंगे। कांग्रेस को जहां दो वोट की जुगाड़ करनी होगी, वहीं भाजपा को आठ वोटों की जरूरत होगी। दोनों दलों की नजर निर्दलीय विधायकों पर होगी।