21 मार्च डाउन सिंड्रोम दिवस – ‘इंप्रूव अवर सपोर्ट सिस्टम’ की थीम पर स्वास्थ्य संस्थाओं में होंगे जागरूकता कार्यक्रम

डाउन सिंड्रोम एक आनुवंशिक विकार है जो बच्चों में जन्म के समय या जन्म के बाद होता है। यह विकार क्रोमोसोम 21 की अतिरिक्त प्रति के कारण होता है, जो मस्तिष्क और शरीर के विकास को प्रभावित करता है। दुनिया भर में लगभग 1000 जीवित जन्मों में से 1 बच्चे में ये पाया जाता है।

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BHOPAL NEWS : विश्व डाउन सिंड्रोम दिवस प्रतिवर्ष 21 मार्च को मनाया जाता है। इस अवसर पर डाउन सिंड्रोम के प्रति जानकारी और जागरूकता बढ़ाने के लिए स्वास्थ्य संस्थाओं में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इस वर्ष यह दिवस ‘इंप्रूव अवर सपोर्ट सिस्टम’ की थीम पर मनाया जा रहा है। यूनाइटेड नेशन्स ने साल 2012 से प्रत्येक वर्ष 21 मार्च को विश्व डाउन सिंड्रोम दिवस मनाने का निर्णय लिया था।

आनुवंशिक विकार

डाउन सिंड्रोम एक आनुवंशिक विकार है जो बच्चों में जन्म के समय या जन्म के बाद होता है। यह विकार क्रोमोसोम 21 की अतिरिक्त प्रति के कारण होता है, जो मस्तिष्क और शरीर के विकास को प्रभावित करता है। दुनिया भर में लगभग 1000 जीवित जन्मों में से 1 बच्चे में ये पाया जाता है।

डाउन सिंड्रोम का डायग्‍नोस गर्भावस्था के दौरान

डाउन सिंड्रोम वाले बच्चों में अक्सर छोटी नाक, बड़ी जीभ, और छोटे कान होते हैं। इन बच्चों में मानसिक विकास में देरी, बोलने या चलने में देरी, सीखने में कठिनाई , सामाजिक कौशल में देरी हो सकती है। डाउन सिंड्रोम का डायग्‍नोस गर्भावस्था के दौरान अल्ट्रासाउंड और रक्त परीक्षण के माध्यम से किया जा सकता है। जन्म के बाद भी शारीरिक परीक्षण और रक्त परीक्षण के माध्यम से इसका पता लगाया जा सकता है।

डाउन सिंड्रोम वाले बच्चों को विशेष शिक्षा और प्रशिक्षण की आवश्यकता

मुख्‍य चिकित्‍सा एवं स्‍वास्‍थ्‍य अधिकारी भोपाल डॉ प्रभाकर तिवारी ने बताया कि डाउन सिंड्रोम वाले बच्चों को विशेष शिक्षा और प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। इसके साथ ही उनके परिजनों को भी मानसिक और भावनात्मक समर्थन दिया जाना आवश्‍यक है। स्‍वास्‍थ्‍य विभाग द्वारा राष्ट्रीय बाल स्‍वास्‍थ्‍य कार्यक्रम के तहत जन्‍म से 18 साल तक के बच्‍चों में जन्मजात विकृतियों, बीमारियों, पौष्टिकता की कमी एवं विकासात्मक विलंब की पहचान की जा रही है।

डाउन सिंड्रोम वाले बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए प्रयास 

भोपाल में जिला शीघ्र हस्तक्षेप केंद्र के माध्यम से साल 2014 से अभी तक 318 डाउन सिंड्रोम बच्चों का चिह्नांकन किया गया है। इन बच्चों के दैनिक क्रियाकलापों, सामाजिक व्‍यवहार, शैैक्षणिक प्रदर्शन में सुधार के लिए थैरेपी एवं विभिन्‍न इण्‍टरवेंशन भी की जा रही है। साथ ही मेडिकल बोर्ड से दिव्यांगता प्रमाण पत्र भी बनवाए गए हैं। जिला शीघ्र हस्तक्षेप केंद्र में शिशु रोग जांच , शिशु दंत चिकित्सा, फिजियोथैरेपी ऑक्यूपेशनल थैरेपी, स्पीच थेरेपी, स्‍पेशल एजुकेशन विभाग हैं। इन विभागों में बच्‍चों के लिए सेवाएं प्रतिदिन उपलब्ध रहती हैं। डाउन सिंड्रोम, बौद्धिक अक्षमता, ऑटिज्म, ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर एवं हृदय रोग, कॉक्लियर इंप्लांट, कैटरेक्ट से उपचारित बच्चों द्वारा समय समय पर सांस्कृतिक प्रस्तुतियां करवाकर मनोबल बढ़ाने का प्रयास भी किया जाता है। इनमें से कई बच्चे संगीत, नृत्य, खेल सहित विभिन्न विधाओं में बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं।


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Sushma Bhardwaj

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