अदम्य साहस और शौर्य के प्रतीक डॉ. नरोत्तम मिश्रा

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। लोकतंत्र में सत्ता का खेल बड़ा अजीब होता है। यहाँ बहुमत के खेल से ही सरकारें बनती है और सरकारें गिरती भी है। अपनी सरकार को बचाए रखना एक कुशल नेता के लिए सबसे बड़ी चुनौति होती है। बात हम मध्यप्रदेश के परिपेक्ष में करें तो यहाँ एक नेता सबकी नज़रों में रहता है। जो न सिर्फ लोकतांत्रिक प्रणाली को समझता है बल्कि संसदीय ज्ञान में भी उनका कोई सानी नहीं है। हम बात कर रहे है डॉ. नरोत्तम मिश्रा (Dr Narottam Mishra) की, जिनकी गिनती लोकतांत्रिक प्रणाली का ज्ञान रखने वाले उन पंडितों में होता है जो मुश्किलों में फंसी सरकार के लिए हमेशा संकटमोचन का काम करते रहे है। डॉ. नरोत्तम मिश्रा की गिनती प्रदेश की राजनीति में अपनी एक अलग धमक रखने वाले नेता के रूप में होती है।

नर सेवा को ही नारायण सेवा समझने वाले डॉ. नरोत्तम मिश्रा को ऐसे ही लोग अदम्य साहस और शौर्य का प्रतीक नहीं कहते है। जनता की सेवा में हमेशा तत्पर्य रहने वाले डॉ. नरोत्तम मिश्रा की वह तस्वीर कभी नहीं भुलाई जा सकती जब वह बाढ़ में फंसे लोगो को बचाने के लिए खुद ही अपने प्राणों की परवाह किए बिना बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में लोगों को बचाने के लिए उतर जाते है। बात पिछले साल अगस्त 2021 की है प्रदेश का ग्वालियर-चंबल संभाग की नदिया उफान पर थी। ऐसी भयानक बाढ़ की पुल तक बह गए। सरकार में मंत्री होने के नाते दतिया जिले में वह हवाई दौरा करने के दौरान जब उन्होंने कोटरा गांव के एक घर की छत पर कुछ लोगों को फंसे हुए देखा तो खुद लोगो को बचाने के लिये नाव से निकल गए। जिसके बाद वहां से सभी को एयरलिफ्ट कर हेलीकॉप्टर से सुरक्षित निकलवाया गया। उस समय उन्होंने तनिक भी अपने प्राणों की परवाह नहीं की और यह भी नहीं सोचा की उनकी इस दौरान जान भी जा सकती है। यही उनका अदम्य साहस और शौर्य है जो उन्हें अन्य राजनीतिज्ञों से अलग बनाता है।


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Amit Sengar

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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है। वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”