भोपाल| मध्य प्रदेश के बहुचर्चित ई-टेंडरिंग घोटाले में गिरफ्तार ऑस्मो आईटी सॉल्यूशन का कर्ताधर्ता विनय चौधरी आखिर किस का मोहरा है, मध्य प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा अब तेज हो गई है। एमपी ब्रेकिंग न्यूज़ ने जब इसकी परत दर परत खोज करने की कोशिश की तो जानकारी मिली कि मध्य प्रदेश में जब से ई टेंडरिंग व्यवस्था लागू की गई है तब से ही विनय चौधरी इस व्यवस्था का एक सक्रिय अंग रहा है। वर्ष 2006 में जब ई टेंडरिंग व्यवस्था लागू की गई तो विनय चौधरी नेक्स्टेंडर कंपनी से जुड़ा हुआ था जो कि विप्रो की सहयोगी कंपनी थी उसके बाद से लगातार वह 2013 तक इस कंपनी से जुड़ा रहा और ई टेंडरिंग व्यवस्था को प्रभावित करता रहा।
2013 में जब ई टेंडरिंग व्यवस्था का काम टीसीएस और इंटरेस कंपनी को दिया गया तो विनय चौधरी को इस व्यवस्था से अलग हो जाना था। लेकिन व्यवस्था पर काबिज MPSEDC के अधिकारियों ने विनय चौधरी को एक बार फिर परफॉर्मेंस टेस्टिंग के नाम पर इम्पैनल कर लिया और तब से आज तक वह लगातार ऑस्मो आईटी सॉल्यूशन कंपनी के माध्यम से ई टेंडरिंग व्यवस्था में घोटाले करने का मुख्य सरगना बना हुआ है।
आईटी विभाग के कर्ताधर्ता रहे आईएएस अधिकारियों ने विनय चौधरी को नियमों के खिलाफ जाकर मुंबई में आईटी पार्क के लिए जमीन भी आवंटित कराई। विनय चौधरी के साथ ही जुड़ा हुआ वरुण चतुर्वेदी नाम का दूसरा गिरफ्तार अभियुक्त पहले एमपी ऑनलाइन से जुड़ा हुआ था, जिसे बाद में विनय चौधरी ने ही ऑस्मो आईटी सॉल्यूशन में जोङ लिया था। इससे यह साफ है कि एमपी ऑनलाइन से जुड़े हुए अधिकारियों ने ही वरुण को ऑस्मो में नियुक्त कराया था। सूत्रों की माने तो यदि विनय चौधरी पर कड़ाई से कार्यवाही होती है तो इस मामले के वास्तविक कर्ताधर्ता सामने आ सकते हैं जो पिछले लंबे समय से ई टेंडरिंग की पूरी व्यवस्था को अपने मनमर्जी से चला रहे थे।