भोपाल, डेस्क रिपोर्ट| मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में उपचुनाव (Byelection) से पहले राजनीतिक दलों ने अपनी रणनीतियों के तहत काम शुरू कर दिया है| चुनाव आयोग ने अभी तारीखों का एलान भले ही न किया हो, लेकिन भाजपा (BJP) और कांग्रेस (Congress) दोनों दलों के नेताओं ने जनता के बीच समर्थन जुटाना शुरू कर दिया है| 27 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में कई मुद्दे चर्चा में है| लेकिन इस बार बेरोजगारी, सरकारी भर्तियां, नियमितीकरण का मुद्दा दोनों दलों के लिए चुनौती बन गया है| उपचुनाव बहिष्कार तक की चेतावनी दी जा रही है| युवाओं की नाराजगी उपचुनाव के समीकरण बिगाड़ सकते हैं|
दरअसल, भाजपा सरकार और उसके बाद कांग्रेस की 15 महीने की सरकार में भी अतिथि शिक्षकों, विद्वानों के नियमितीकरण की मांग पूरी नहीं हुई| लम्बे समय से सिर्फ आश्वासन से ही काम चलाया जा रहा है| विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस ने इसे मुद्दा बनाते हुए वचन पत्र में घोषणा भी की थी| लेकिन यह घोषणा पूरी नहीं हो सकी| वहीं कांग्रेस छोड़ भाजपा में आये ज्योतिरादित्य सिंधिया के सड़क पर उतरने का एलान अब उन्ही के लिए समस्या बन गया है| सिंधिया जहां भी जा रहे हैं, उनसे अलग अलग मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपे जा रहे हैं|
पुलिस भर्ती के लिए युवा बेरोजगारों का आंदोलन
प्रदेश में बढ़ती बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा बन गया है| तीन साल से अटकी भर्तियों को लेकर अब प्रदेश का युवा आंदोलन की राह पर हैं| सोशल मीडिया पर सरकार से मांग के लिए केम्पेन चलाया जा रहा है| इसके साथ ही पुलिस कर्मियों के ग्रेड पे बढ़ाने समेत अनेकों मांग तेज हो गई है| चुनावी मौसम में मांगें पूरी होती है, जिसके चलते सभी ने अपनी मांगें पूरी कराने सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है|
शिक्षक भर्ती में चयनित उम्मीदवार भी परेशान
शिक्षक पात्रता परीक्षा का रिजल्ट जारी हुए एक साल पूरा हो रहा है, लेकिन अब तक किसी भी अभ्यर्थी को ज्वाइनिंग नहीं दी गई है। इसको लेकर भी विरोध तेज हो गया है| स्कूल शिक्षा विभाग और आदिम जाति कल्याण विभाग के तहत 30,594 से अधिक शिक्षकों की भर्ती होनी है। सोशल मीडिया पर नियुक्ति को लेकर मांग की जा रही है और उपचुनाव के बहिष्कार तक की बात कही जा रही है|