नर्सिंग घोटाले को उजागर करना पड़ा महंगा, व्हिस्लब्लोअर रवि परमार नहीं दे पाएंगे M.SC. नर्सिंग चयन परीक्षा

रवि परमार की माने तो उन्होंने विधिवत परीक्षा फॉर्म भरे थे जिसे निरस्त कर दिया गया, जबकि उन्होंने फार्म भरते समय सभी मांगी गई जानकारी पूरी ईमानदारी से प्रस्तुत की थी। उनके खिलाफ विभिन्न राजनीतिक आंदोलन के दौरान कई एफआईआर दर्ज की गई हैं।

मध्यप्रदेश के बहुचर्चित नर्सिंग महाघोटाले के व्हिस्लब्लोअर व एनएसयूआई प्रदेश उपाध्यक्ष रवि परमार को नर्सिंग घोटाला उजागर करना भारी पड़ गया है। परमार को MSC नर्सिंग चयन परीक्षा देने से रोक दिया गया है। रवि परमार ने आरोप लगाया है कि मध्यप्रदेश कर्मचारी चयन मंडल (MPESB) द्वारा जानबूझकर उन्हें चयन परीक्षा से बाहर किया गया है।

रवि परमार 

नर्सिंग घोटाले को उजागर करना पड़ा महंगा, व्हिस्लब्लोअर रवि परमार नहीं दे पाएंगे M.SC. नर्सिंग चयन परीक्षा

FIR बनी बाधा 

रवि परमार ने बताया कि उन्होंने विधिवत परीक्षा फॉर्म भरे थे जिसे निरस्त कर दिया गया, जबकि उन्होंने फार्म भरते समय सभी मांगी गई जानकारी पूरी ईमानदारी से प्रस्तुत की थी। रवि परमार ने बताया कि उनके खिलाफ विभिन्न राजनीतिक आंदोलन के दौरान कई एफआईआर दर्ज की गई हैं, जो कि एक छात्र नेता के तौर पर उनके संघर्ष का हिस्सा रही हैं। उन्होंने फार्म भरते समय इन जानकारियों को नहीं छिपाया, बल्कि पारदर्शिता के साथ विवरण प्रस्तुत किया, इसके बावजूद चयन मंडल ने उनका फॉर्म निरस्त कर दिया।

यह पहला मौका नहीं, जब रवि परमार को परीक्षा देने से वंचित किया गया

बता दें कि यह पहला मौका नहीं है जब रवि परमार को परीक्षा देने से वंचित किया गया हो। एमएससी नर्सिंग चयन परीक्षा 2024 में भी उन्हें परीक्षा में बैठने से रोका गया था, जिस पर उनके अधिवक्ता अभिषेक पांडे द्वारा दिनांक 14 अक्टूबर 2024 को जबलपुर उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई थी। 16 अक्टूबर 2024 को हुई सुनवाई में न्यायाधीश संजीव सचदेवा ने परमार को फिजिकल फॉर्म के माध्यम से परीक्षा में बैठने की अनुमति प्रदान की थी।

न्यायालय के स्पष्ट आदेश 

न्यायालय ने अपने आदेश में स्पष्ट किया था कि याचिकाकर्ता रवि परमार एक छात्र नेता हैं और जिन धाराओं के तहत उन पर एफआईआर दर्ज हैं, वे नैतिक अधमता से संबंधित नहीं हैं। साथ ही न्यायालय ने यह भी कहा था कि सिर्फ एफआईआर दर्ज होने मात्र से किसी विद्यार्थी का शैक्षणिक अधिकार नहीं छीना जा सकता यह उसके मौलिक अधिकारों के विरुद्ध है।

“न्यायालय में मामला लंबित होने के चलते मेरे परीक्षा परिणाम में देरी

रवि परमार ने कहा कि “न्यायालय में मामला लंबित होने के चलते मेरे परीक्षा परिणाम में देरी हुई और मैं काउंसलिंग प्रक्रिया में भाग नहीं ले सका। यह न केवल मेरे साथ अन्याय है, बल्कि उन लाखों छात्रों के साथ अन्याय है, जो अपनी आवाज उठाने से डरते हैं। अब जब मैंने फिर एमएससी नर्सिंग चयन परीक्षा 2025 के लिए फॉर्म भरा, तो चयन मंडल ने एक बार फिर मेरा फॉर्म निरस्त कर दिया। यह साफ़ दर्शाता है कि भाजपा सरकार शिक्षा को लेकर प्रतिशोध की राजनीति कर रही है।” रवि परमार ने कहा कि वे इस अन्याय के खिलाफ न्यायालय की शरण लेंगे और छात्रों के अधिकारों की रक्षा के लिए हर स्तर पर संघर्ष करेंगे।

 


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Sushma Bhardwaj

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