किसानों के लिए खुशखबरी, अब जानवरों से फसल की सुरक्षा के लिये खेत पर जाली लगाने का टेंशन होगा कम, आधा पैसा सरकार देगी

उद्यानकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा इच्छुक किसानों से ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किये गए हैं। जिससे उनके खेत में लगने वाली जाली का एस्टीमेट बनाकर उनके लिए अधि राशि भिजवाने की व्यवस्था की जा सके ।

मध्य प्रदेश के किसानों के लिए एक अच्छी खबर है, सरकार ने एक बार फिर उनकी तरफ मदद का हाथ बढ़ाया है, इस मदद से उन छोटे किसानों को बहुत मदद मिलेगी जिन्हें जानवरों से अपनी फसल को बचाने के लिए बहुत मशक्कत करनी पड़ती है।

फल, फूल, सब्जी और मसाले की फसल पैदा करने वाले किसानों को अब अपनी फसल की चिंता करने की बहुत अधिक जरूरत नहीं है, ये सभी फसल उगाने वाले ऐसे किसान जो आर्थिक परेशानी की वजह से फसल को जंगली जानवरों से बचाने लिए खेतों में लोहे की जाली नहीं लगा पाते थे अब उनकी परेशानी का हल सरकार ने निकाला है।

खेत में जाली लगाने का आधा खर्च देगी सरकार        

प्रदेश सरकार ने घोषणा की है कि फसलों को जंगली जानवरों से बचाने के लिए खेतों पर जाली लगाने का आधा खर्चा राज्य सरकार वहन करेगी। अब राष्ट्रीय बागवानी एकीकृत विकास कार्यक्रम के तहत उद्यानकी फसल उगाने वाले किसान अपने खेत के चरों ओर गेल्वनाइज्ड जाली लगवा सकते हैं। उद्यानकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा इच्छुक किसानों से ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किये गए हैं।

सब्जी, फल, फूल एवं मसालों की फसल पैदा करने वाले किसानों को लाभ 

उद्यानकी विभाग के आयुक्त के अनुसार उद्यानकी फसलों में सब्जी, फल, फूल एवं मसालों की फसलों को जंगली जानवरों द्वारा क्षति पहुंचाई जाती है इससे बचाव के लिये यह योजना लागू की गई है। विभाग द्वारा किसानों को जाली लगाने में आने वाला खर्च का आधा (50 प्रतिशत) अनुदान प्रदान किया जाएगा।

लगभग इतना खर्च आता है जाली लगाने में  

विभाग ने बताया है कि जाली लगाने का खर्चा 300 रुपये प्रति रनिंग मीटर आता है यानि एक हजार रनिंग मीटर का खर्चा तीन लाख रुपये है इसमें डेढ़ लाख रुपये राज्य सरकार देगी तथा शेष डेढ़ लाख रुपये किसान को देने होंगे। ऐसा करने से उसकी लाखों रुपए कीमत की फसल को नुकसान से बचाया जा सकेगा।


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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