भोपाल| मध्य प्रदेश में सरकारों की लोकलुभावनी घोषणाओं और शासकीय खर्चों ने प्रदेश के खजाने की हालत खस्ताहाल कर दी है| जिससे प्रदेश पर आर्थिक बोझ बढ़ गया है और यह बोझ लगातार बढ़ता ही जा रहा है| पिछले तीन सालों में मध्य प्रदेश के प्रत्येक नागरिक पर कर्ज लगभग नौ हजार रुपए बढ़ गया है। सरकार पर आज की स्थिति में लगभग एक लाख 84 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है। मध्य प्रदेश की जनसंख्या को यदि 8 करोड़ मानें तो प्रति व्यक्ति यह कर्ज लगभग 23 हजार रुपए माना जा सकता है।
31 मार्च 2016 की स्थिति में मध्य प्रदेश सरकार पर एक लाख 11 हजार करोड़ रुपए का कर्ज था। तब प्रति व्यक्ति कर्ज का आंकड़ा 13 हजार 800 रुपए था। चुनावी लुभावने फैसलों की वजह से मध्य प्रदेश सरकार पर यह कर्ज लगातार बढ़ता गया। प्रदेश की वित्तीय स्तिथि को लेकर अक्सर राजनीती भी हुई| जब 2003 में भाजपा दस साल बाद सरकार में लौटी थी तो भाजपा नेताओं कांग्रेस पर प्रदेश को बर्बाद करने और खजाना खाली करने के आरोप लगाए थे| जिसके बाद 15 साल तक भाजपा की सरकार रही| इस दौरान जमकर लोकलुभावनी घोषणाएं और सरकार आयोजन हुए| जिससे प्रदेश लगातार कर्ज के बोझ में दबता चला गया| अब सत्ता परिवर्तन के बाद कांग्रेस सरकार पिछली भाजपा सरकार पर प्रदेश को बर्बाद करने और प्रदेश का खजाना खाली करने का आरोप लगा रही है| वहीं प्रदेश की जरूरतों को पूरा करने सरकार और नया कर्ज ले रही है, जबकि प्रदेश में आय के स्त्रोत नहीं बढ़ रहे|