भोपाल। शिक्षकों की कमी के चलते जहां ग्रामीण क्षेत्रों में बिना शिक्षकों के स्कूल चल रहे हैं, वहीं शिक्षक पात्रता परीक्षा वर्ग-1 का परिणाम घोषित होने के दो माह बाद भी नियुक्ति न मिलने से प्रदेश के करीब 40 हजार पात्र अभ्यर्थी नियुक्ति का इंतजार कर रहे हैं| अभ्यर्थियों के काउंसिलिंग के लिए कोई भी प्रक्रिया विभाग अब तक शुरू नहीं करा पाया है| शिक्षकों की नियुक्ति में शासन के पास बजट की कमी भी एक महत्वपूर्ण कारण बताया जा रहा है।
गौरतलब है कि फरवरी-मार्च 2019 में शिक्षक पात्रता परीक्षा वर्ग-1 और वर्ग-2 की परीक्षा का आयोजन किया गया था। इसके पांच माह बाद 28 अगस्त को वर्ग-1 का रिजल्ट घोषित किया गया। वहीं 26 अक्टूबर को वर्ग-2 का रिजल्ट घोषित हुआ है। वर्ग-1 की परीक्षा में सफल अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने की प्रक्रिया अब तक शुरू नहीं हो सकी है। नियुक्ति के संबंध में काउंसिलिंग प्रक्रिया के लिए विभाग की ओर से अभी तक कोई समय सीमा तय नहीं की गई है। ऐसे में सफल अभ्यर्थी नौकरी के दूसरे विकल्पों पर विचार नहीं कर पा रहे हैं। वहीं विभाग के अधिकारियों द्वारा लगातार आश्वासन दिया जा रहा हे|
जुलाई से सितंबर तक प्रदेश भर के शिक्षकों का स्वैच्छिक स्थानांतरण होने से ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूल खाली हो चुके हैं। ऐसे में विभाग पात्र अभ्यर्थियों की नियुक्ति में देरी कर शिक्षण व्यवस्था को प्रभावित कर रहा हैं। ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति से भरपाई की जा सकती है, लेकिन नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू नहीं होने से पात्र अभ्यर्थी परेशान हैं| वहीं वर्ग-1 की परीक्षा में सफल उम्मीदवारों को नियुक्ति देने की प्रक्रिया अब तक शुरू नहीं हो सकी है। इससे प्रतिभागी हताश हैं। शिक्षकों की नियुक्ति नहीं होने से ग्रामीण इलाकों में इनकी कमी हो गई है। इसी वर्ष 2019 में स्कूल शिक्षा विभाग ने करीब 40 हजार शिक्षकों के ऑनलाइन ट्रांसफर किए थे। इसका फायदा उठाकर अधिकांश शिक्षक ग्रामीण इलाकों से तबादला करवाकर शहरी क्षेत्रों में अा गए। अब ग्रामीण इलाकों के स्कूलों में शिक्षकों की कमी होने से वहां व्यवस्थाएं गड़बड़ा गई हैं। जिस स्कूल में 12 शिक्षक होने चाहिए, वहां सिर्फ 5 से काम चलाया जा रहा है। ऐसे में इस सत्र में ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों का परीक्षा परिणाम बिगड़ना तय है।