Ganesh Chaturthi 2022 : सामाजिक एकता और विरासत का प्रतीक है श्रीगणेशोत्सव…

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भोपाल, प्रवीण कक्कड़। श्रीगणेशोत्सव (Ganesh Chaturthi 2022) पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है, श्रीगणेश प्राचीन समय से हमारे आराध्य रहे हैं, पेशवा साम्राज्य में श्रीगणेशोत्सव (ganesh utsav) की धूम रहती थी, फिर लोकमान्य बालगंगाधर तिलक द्वारा शुरू किए गए प्रयासों ने इसे सामाजिक और सार्वजनिक उत्सव के रूप में पहचान दिलाई। उस समय यह प्रयास आजादी आंदोलन में सभी को साथ लाने के लिए किया गया था। तब यह प्रयास सार्थक हुआ और अंग्रेजों के खिलाफ इस उत्सव के जरिए देशवासी एकजुट नजर आए। आज भी इस सार्वजनिक उत्सव में हमें सामाजिक, मानवीय और नैतिक मूल्यों की स्थापना पर ध्यान देने की जरूरत है। इसके साथ ही हमें सभी की मदद करने, देशहित में लोगों को जोड़ने और समाज को एकजुट करने के प्रयास करना चाहिए।

भादों माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी में यानी अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 31 अगस्त 2022 बुधवार को गणेश चतुर्थी के दिन मूर्ति स्‍थापना होगी। हम सबके घरों में विघ्नहर्ता भगवान गणेश विराजमान होंगे। जगह-जगह गणेश उत्सव का आयोजन होगा और सभी लोग समाज की मंगल कामना की प्रार्थना करेंगे। इस पवित्र त्यौहार का जितना अधिक महत्व है, उससे कम महत्व इसके इतिहास का भी नहीं है। अगर हम गणेश उत्सव के इतिहास की तरफ जाएं तो पाएंगे कि पहले लोग घरों में ही गणेशोत्सव मनाते थे। लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने 1893 में पुणे में पहली बार सार्वजनिक रूप से गणेशोत्सव मनाया। आगे चलकर उनका यह प्रयास एक आंदोलन बना और स्वतंत्रता आंदोलन में इस गणेशोत्सव ने लोगों को एकजुट करने में अहम भूमिका निभाई।


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Kashish Trivedi

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