भोपाल| लोकसभा चुनाव का बिगुल बजते ही देश में तमाम मुद्दों को लेकर सियासत शुरू हो गई है| लेकिन जाति आधारित राजनीति का रंग सबसे अलग है, जिससे कोई भी दल अछूता नहीं है| चाहे वोट बैंक की बात हो या टिकट वितरण की, जाति आधिरित समीकरणों पर ही पार्टियां अपनी रणनीति बनाती है| वहीं मध्य प्रदेश के कद्दावर नेता और नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव का जाति की राजनीति को लेकर सोशल मीडिया पर दर्द झलका है| भार्गव ने राजनीति में बढ़ते जातिवाद पर चिंता जताते हुए पोस्ट किया है, जिसके कई मायने निकाले जा रहे हैं| टिकट वितरण के समय आखिर उन्होंने किस पर निशाना साधा है|
दरअसल, भार्गव ने ट्विटर पर लिखा है कि देश के राजनैतिक दलों को इस चुनाव में बहुत ही गंभीरता पूर्वक विचार करके यह तय करना चाहिए कि उन्हें जीत चाहिए या जाति| इस ट्वीट को टिकट वितरण से जोड़कर देखा जा रहा है| उन्होंने दो ट्वीट किये हैं जिसमे उन्होंने लिखा “देश की आजादी के बाद जो बुराई खत्म हो जानी चाहिए थी वह बुराई आज अपने अपने निजी स्वार्थों के कारण और अधिक परवान चढ़ रही है। देश एक दिन इसको समझेगा भले ही मेरे न रहने के बाद। देश के राजनैतिक दलों को इस चुनाव में बहुत ही गंभीरता पूर्वक विचार करके यह तय करना चाहिए कि उन्हें जीत चाहिए या जाति । भारत की राजनीति में कोढ़ की तरह पनप रहे जातिवाद को समय रहते खत्म नहीं किया गया तो आने वाले वक्त में देश जातियों के कबीलों में बंट जाएगा”।
भार्गव के इस ट्वीट को राजनीतिक तौर पर उनके बेटे अभिषेक भार्गव के टिकट से जोड़कर देखा जा रहा है। भार्गव के पुत्र अभिषेक दमोह संसदीय क्षेत्र से भाजपा की ओर से बड़े दावेदार थे, मगर बाद में उन्हें अपनी दावेदारी वापस लेना पड़ी। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि दमोह संसदीय क्षेत्र में पिछड़ा वर्ग के मतदाता अधिक हैं, इसलिए भाजपा ने पूर्व मंत्री व वर्तमान सांसद प्रह्लाद पटेल को एक बार फिर उम्मीदवार बनाया है। भार्गव के ट्वीट से सियासी गलियारों में चर्चा तेज हो गई है|