भोपाल। निजी मेडिकल कॉलेजों में वर्ष 2009 से 2014 के बीच डेंटल एंड मेडिकल एंट्रेंस टेस्ट (डीमेट) के माध्यम से स्टेट कोटे की सीट पर जिन 721 छात्रों का चयन हुआ, उनकी जानकारी चिकित्सा शिक्षा विभाग के पास नहीं है। निजी मेडिकल कॉलेजों से ये जानकारी लेने के लिए विभाग ने जुलाई 2019 में पत्र लिखा, लेकिन चार महीने बाद भी जानकारी हासिल नहीं हो पाई। एएफआरसी की अपील अथॉरिटी ने भी इन 721 छात्रों का मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश को फर्जी माना था।
छह मेडिकल कॉलेज (एलएन मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च सेंटर, इंडेक्स मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, पीपुल्स कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंस, चिरायु मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज और श्री अरविंदो मेडिकल कॉलेज) ने एएफआरसी के अनुसार जबलपुर हाई कोर्ट में याचिकाएं भी लगाई हैं। ये सारे मामले फर्जी दस्तावेज तैयार करके किए गए।
2016 तक एनआरआई कोटे में दस्तावेजों का सत्यापन संस्थान स्तर पर गठित समिति करती थी। 2017 से एनआरआई अभ्यर्थियों का आवंटन चिकित्सा शिक्षा संचालनालय से किया जा रहा है। दस्तावेजों की जांच भी यहीं होती है। इस बारे में चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ से बातचीत की कोशिश की गई, लेकिन वे उपलब्ध नहीं हुईं।
विधानसभा में उठेगा मामला
सैलाना विधायक हर्ष सिंह गहलोत ने जुलाई में विधानसभा सत्र के दौरान इस मुद्दे को उठाया गया था। डीमेट से जिन फर्जी छात्रों ने प्रवेश लिया और जिन प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों ने प्रवेश दिया, दोनों पर कार्रवाई की जाए। उस समय चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने कहा था कि विषय बड़े स्वरूप का है, विभाग के पास जानकारी भी नहीं है। हम जानकारी जुटा रहे हैं पर अब तक मुझे इस बारे में विभाग ने कोई जानकारी नहीं दी। विधायक अगले महीने इस मुद्दे को फिर से सदन में उठाने की तैयारी कर रहे हैं।