भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। DA और प्रमोशन समेत 5 सूत्रीय मांगों को लेकर 22 अक्टूबर को भोपाल में बड़ा प्रदेश स्तरीय धरना प्रदर्शन होने जा रहा है। और अगर सरकार इन सरकारी कर्मचारी और अधिकारियों की मांगें नहीं मानती है, तो 28-29 अक्टूबर को सरकारी दफ्तरों में पूरी तरह से काम बंद कर दिया जाएगा, और फिर फिर मध्यप्रदेश के लाखों कर्मचारी हड़ताल पर चले जाएंगे।
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मप्र अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के बैनर तले अधिकारी-कर्मचारी प्रदर्शन कर रहे हैं। मोर्चा से 52 कर्मचारी संगठन जुड़े हैं। इनकी मांगे है कि 1 जुलाई 2020 एवं 1 जुलाई 2021 की वेतन वृद्धि में एरियर की राशि का भुगतान किया जाए। साथ ही प्रदेश के अधिकारी-कर्मचारियों और पेंशनरों को केंद्र के समान केंद्रीय तिथि से 16% प्रतिशत महंगाई भत्ता का भुगतान किया जाए। वही अधिकारी-कर्मचारियों के प्रमोशन की प्रोसेस जल्द शुरू हो। यह भी मांग है की गृह भाड़ा भत्ता केंद्रीय कर्मचारियों की तरह MP के अधिकारी-कर्मचारियों को भी दिया जाए, कर्मचारियों को स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ भी मिलें साथ ही विभिन्न संवर्गों के वेतन विसंगति सेवा अवधि अनुासार पदनाम, नियुक्ति दिनांक से वरिष्ठता के निराकरण दैनिक वेतनभोगी, संविदा कर्मचारी, स्थायीकर्मी, आउटसोर्शिंग कर्मचारियों को नियमित किया जाए।
अनुकंपा नियुक्ति के सरलीकरण को लेकर वरिष्ठ मंत्री की अध्यक्षता में समिति का गठन किया जाए। समिति के निर्णय का तत्काल पालन हो।
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कर्मचारी संगठन 22 अक्टूबर को भोपाल में प्रदेश व्यापी धरना देंगे। साथ ही मुख्य सचिव के नाम ज्ञापन सौंपेगें, उसके बाद 28 एवं 29 अक्टूबर को प्रदेश के सभी अधिकारी-कर्मचारी सामूहिक अवकाश लेंगे।आने वाले दिनों में उपचुनाव भी प्रदेश में होने वाले है, ऐसे में अगर यह कर्मचारी और अधिकारी हड़ताल पर जाते है तो मुश्किल बढ़ सकती है, लेकिन उम्मीद है की सरकार इससे पहले ही कोई फैसला इनके हक में ले सकती है।