भोपाल। राज्य सरकार के सबसे बदनाम परिवहन विभाग में पिछले एक दशक से भी ज्यादा समय से कंप्यूट्रीकरण का काम देख रही स्मार्ट चिप कंपनी को अब सरकार आगे और मोहलत देने के पक्ष में नहीं है। कंपनी का कार्यकाल पिछले साल खत्म हो गया था, लेकिन परिवहन विभाग ने कंपनी का कार्यकाल 26 मार्च 2019 तक के लिए बढ़ा दिया था, अब कंपनी अगले 5 साल के लिए कार्यकाल बढ़वाने की जुगाड़ में है, लेकिन सरकार इसके पक्ष में नहीं है। इसको लेकर शीर्ष स्तर पर फैसला होना है।
परिवहन विभाग में लाइसेंस, रजिस्ट्रेशन एवं अन्य ऐसे काम जो कंप्यूटर के जरिए होते हैं, उन्हें स्मार्ट चिप कंपनी के द्वारा किया जाता है। सभी जिला परिवहन कार्यालयों में कंपनी ने अपने कर्मचारी तैनात कर रखे हैं। स्मार्ट चिप कंपनी के खिलाफ परिवहन आयुक्त कार्यालय से लेकर शासन स्तर पर कई शिकायतें लंबित हैं, जिनमें कंपनी के कर्मचारियों द्वारा फर्जी रजिस्ट्रेशन से लेकर अन्य गलत गतिविधियों को अंजाम दिया, लेकिन कंपनी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। अब चूंकि प्रदेश में सत्ता बदल गई है, ऐसी स्थिति में कंपनी पर खतरा मंडरा गया है। विभागीय सूत्रों के अनुसार स्मार्ट चिप कंपनी का कार्यकाल पिछले साल दिसंबर में ही पूरा हो चुका था, लेकिन विभाग के राजस्व लक्ष्य एवं अन्य कारणों की वजह से कंपनी के कार्यकाल को 26 मार्च तक के लिए बढ़ा दिया गया है। कंपनी अगले 5 साल के लिए कार्यकाल बढ़वाने के लिए कई स्तर से प्रयास कर रही है, लेकिन इसमें सफलता नहीं मिली है। सूत्रों ने बताया कि शासन स्तर पर परिवहन विभाग में कंप्यूटीकरण से जुड़े कार्य के लिए नए सिरे से टेंडर बुलाने का पक्ष रखा गया है, लेकिन परिवहन आयुक्त कार्यालय कंपनी का कार्यकाल बढ़ाने के पक्ष में है। हालांकि अभी इस मामले में कोई निर्णय नहीं हुआ है। इसको लेकर परिवहन मंत्री, प्रमुख सचिव एवं आयुक्त परिवहन के बीच बैठक होना है।