सरकारी नौकरी के लिये 35 वर्ष की आयु सीमा तय करने के निर्णय से यू- टर्न ले सकती है सरकार

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भोपाल। राज्य सरकार ने मप्र लोक सेवा आयोग की भर्तियों के लिये आयु सीमा को मप्र के युवाओं और बाहरी राज्यों के युवाओं के लिये एक बराबर 35 वर्ष कर दिया है। लेकिन इस निर्णय पर कैबिनेट की मुहर लगे हुए महज एक सप्ताह ही हुए हैं कि अब सरकार को इस निर्णय से यू- टर्न लेने की नौबत आ सकती है। बुधवार को कैबिनेट के दौरान यह मुद्दा एक बार फिर उठा। प्रदेश के युवा मंत्रियों में शुमार जयवर्धन सिंह, प्रियवृत सिंह और सचिन यादव ने इस निर्णय पर पुनर्विचार करने की पैरवी की। उनका तर्क था कि इससे मप्र के युवाओं का अवसर कम होगा। इससे प्रदेश में युवाओं के बीच अच्छा संदेश नहीं जाएगा। इससे प्रदेश में युवाओं के बीच सरकार को लेकर नाराजगी बढ़ सकती है।

मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सभी मंत्रियों के सुझावों को ध्यान से सुना। मिले संकेतों के मुताबिक अब राज्य सरकार इस फैसले को वापस ले सकती है। इसके लिये विधि विभाग को परीक्षण करने के निर्देश दे दिये गये हैं, तब तक यथास्थिति बरकरार रखी जाएगी। अब तक के सुझावों के आधार पर छत्तीसगढ़ में लागू मौजूदा नियमों को मप्र के लिये ज्यादा अनुकूल बताया गया है। छत्तीसगढ़ में वहां के निवासी युवाओं को लोक सेवा आयोग की भर्तियों में शामिल होने की आयु सीमा 40 वर्ष तय की गई है। जबकि बाहरी राज्यों के लिये 35 वर्ष की सीमा तय की गई है। इससे स्थानीय युवाओं को 5 वर्ष की अवधि का फायदा मिल जाता है, इससे उन्हें ज्यादा अवसर मिलते हैं। मप्र में भी यही फार्मूला लागू किया जा सकता है। पिछली कैबिनेट में मप्र लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं में शामिल होने की पात्रता आयु को 35 वर्ष कर दिया गया था। इससे मप्र के मूल निवासी उम्मीदवारों को 5 वर्ष का नुकसान हो रहा था। वहीं बाहरी राज्यों के युवाओं के लिये भाी 35 वर्ष की ही सीमा तय की गई थी। इसे लेकर कैबिनेट में विवाद की स्थिति भी बनी थी। कैबिनेट में सामान्य वर्ग के निम्न आय वर्ग के लोगों को 10 फीसदी आरक्षण दिये जाने का मामला भी उठा।


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