शहीद को नमन : अंतिम यात्रा में भी देश का ध्यान

Gaurav Sharma
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भोपाल डेस्क रिपोर्ट। सीडीएस बिपिन रावत के साथ चॉपर हादसे का शिकार हुए ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह का अंतिम संस्कार भोपाल में होगा। पहले अंतिम संस्कार का स्थान भोपाल के भदभदा घाट रखा गया था। लेकिन शहीद के पिता ने आम जनता की परेशानी को ध्यान में रखते हुए बैरागढ़ में अंतिम संस्कार कराने का निर्णय लिया है।

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‘देश के लिए जिए और देश के काम आए और इतना ही नहीं, जब अंतिम यात्रा निकले तो भी जहन में देश ही रहे।’ शायद इसी भाव के कारण शहीद लोगों के दिलों में पूजे जाते हैं। 8 दिसंबर को सीडीएस बिपिन रावत के हेलीकॉप्टर क्रैश हादसे में बचे एकमात्र व्यक्ति ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह का लंबे इलाज के बाद बुधवार को निधन हो गया। शहीद के पिता भोपाल में रहते हैं और उनका अंतिम संस्कार भी भोपाल में कराने का निश्चय हुआ। पहले प्रशासन ने भदभदा विश्राम स्थल पर अंतिम संस्कार की व्यवस्थाएं करने की बात कही थी लेकिन जब यह बात शहीद के पिता को पता चली तो उन्होंने कहा कि भदभदा घाट पर अगर अंतिम संस्कार होता है तो वहां ट्रैफिक जाम होगा और भी नहीं चाहते कि बेटे की अंतिम यात्रा की वजह से लोग परेशान हो। इसलिए अब यह निश्चित किया गया है कि अंतिम संस्कार बैरागढ़ में शुक्रवार सुबह 11बजे होगा।

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ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह की पार्थिव देह दोपहर 2.30 पर सेना के विमान से गुरुवार को भोपाल आएगी। एयरपोर्ट रोड स्टेशन सिटी कॉलोनी जहां उनके पिता रहते थे, वहां उन्हें श्रद्धांजलि दी जाएगी। अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए शहीद के परिजन देवरिया से भोपाल पहुंच रहे हैं। शहीद के पिता रिटायर्ड कर्नल के पी सिंह और मां उमा सिंह सन सिटी कॉलोनी,भोपाल में रहते हैं और वरुण सिंह के छोटे भाई तनुज नौ सेना में लेफ्टिनेंट कमांडर है और उनकी पोस्टिंग मुंबई में है। वरुण सिंह अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ तमिलनाडु के वेलिंगटन में रहते थे।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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