भोपाल
लॉकडाउन 3 मई तक बढ़ चुका है और कोरोना के इस गहराते संकट के बीच एक आशंका जो बार बार उभर रही है और जिसके शुरूआती संकेत भी दिखने लग गए हैं, वो है अर्थव्यवस्था का धराशायी होना। जीवन बचाने के लिये लॉकडाउन का फैसला अनिवार्य था, लेकिन इसी के साथ जमाखोरी, पूंजीपतियों द्वारा पूंजी का संचय, छोटे व्यवसायियों पर तालाबंंदी की मार, रोज़ कमाने खाने वालों का रोज़गार छिन जाना सहित कई ऐसे साइड इफैक्ट हैं जो सामने आए हैं। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी आर्थिक व्यवस्था पटरी पर आने के बजाय और धराशायी होने की आशंका है क्योंकि ये वैश्विक आपदा है और ऐसे में भारत जैसे विकासशील देश के सामने कई तरह के संकट खड़े होने की संभावना है।
ऐसे कठिन समय में कल्पना कीजिये कि अगर आपपर कोई आसमान से नोटों की बारिश कर दे तो ? Global Recession के संभावित खतरे को देखते हुए दुनिया भर की आर्थिक सरकरें, संस्थाएं योजनाएं बनाने में जुटी हैं। इसी के तहत कई लोग ‘हेलीकॉप्टर मनी’ (helicopter money) को अपनाने पर सहमत हो रहे हैं। सरल भाषा में समझने की कोशिश करें तो ये एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें केंद्रीय बैंक सरकार को रकम जारी करती है, जिसका पुनर्भुगतान नहीं करना होता है। कहा जा सकता है कि लोगों को इस उम्मीद से मुफ्त में पैसे बांटे जाते हैं कि खर्च और उपभोग बढ़ेगा, मनी रोटेशन होगा और अर्थव्यवस्था सुधरेगी। पिछले दिनों तेलंगाना के मुख्मंत्री के सी राव ने कहा था कि हेलीकॉप्टर मनी (Helicopter Money) के इस्तेमाल से हमें आर्थिक संकट से उबरने में मदद मिलेगी। उन्होने मांग की थी कि जीडीपी का 5 फीसदी फंड क्वांटिटेटिव इजिंग के तहत जारी कर देना चाहिए। क्वांटिटेटिव इजिंग एक ऐसी नीति है, जिसे दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाएं अपनाती हैं। उन्होने कहा कि आरबीआई को क्वांटिटेटिव इजिंग पॉलिसी को लागू करना चाहिए जिसे इसे हेलीकॉप्टर मनी भी कहते है।
हेलिकॉप्टर मनी की अवधारणा 1969 में अर्थशास्त्री मिल्टन फ्रीडमैन ने दी थी। उन्होने इसे कुछ ऐसे समझाया था कि, “केंद्रीय बैंक नोट छापे और सरकार उसे खर्च कर दे।” ये सरकार पर किसी कर्ज की तरह नहीं है। ये उस तरह की कल्पना है कि पैसा आसमान से बरस रहा है। अर्थशास्त्र का सिंद्धात है कि जब इकॉनॉमिक क्राइसिस अपने चरम पर पहुंच जाता है तो यही अंतिम विकल्प होता है। लेकिन हेलिकॉप्टर मनी के सिद्धांत के अपने खतरे भी हैं, ऐसे समय में जब जनता और सरकार घोर आर्थिक संकट से गुजर रही है, हेलिकॉप्टर मनी जैसा सहूलियत भरा विकल्प देकर, जनता को ईज़ी मनी मुहैया कराने से उसके नतीजे क्या होंगे, इसपर भी विचार करना महत्वपूर्ण है। बहरहाल दुनियभार में हेलिकॉप्टर मनी को लेकर बहस जारी है और विश्व भर में कोरोना लॉकडाउन से उबरने के बाद अर्थव्यवस्था की स्थिति को देखकर ही तय होगा कि इसे लागू किया जाए या नहींं।