भोपाल। राजधानी के बाहर पदस्थ अफसर गृह विभाग द्वारा बार-बार पत्र लिखने के बाद भी भोपाल में आवंटित सरकारी आवास खाली नहीं कर रहे हैं। ऐसे में आवास खाली कराने के लिए गृह विभाग ने आईएएस एसोसिएशन को पत्र लिखकर अफसरों से आवास खाली कराने को कहा है। आवास खाली नहीं होने की वजह से भोपाल में पदस्थ होने वाली अफसरों को बंगला नहीं मिल पा रहा है।
गृह विभाग से जुड़े सूत्रों के अनुसार करीब 18 आईएएस अधिकारी ऐसे हैं, जो जिलों में कलेक्टर में पदस्थ है। जबकि कुछ अधिकारी दिल्ली में पदस्थ है। इन अफसरों के पास भोपाल का कोई भी दायित्व नहीं है। खास बात यह है कि छह महीने से ज्यादा समय होने के बावजूद भी इन्होंने अभी तक भोपाल में आवंटित आवास खाली नहीं किया है। एक दर्जन करीब आईएएस एवं आईएफएस अधिकारी हैं, जो जिनकी पदस्थापना भोपाल के बाहर है, लेकिन वे भोपाल में सरकारी आवास नहीं छोड़ रहे हैं। आवास खाली नहीं करने वालों में आला अधिकारी भी शामिल हैं। दिल्ली में पदस्थ आईएएस अधिकारी विवेक अग्रवाल ने भी अभी तक भोपाल में सरकारी आवास नहीं छोड़ा है। इसी तरह आईसीपी केसरी को भी राजधानी के चार इमली क्षेत्र में सरकारी आवास मिला था। हालांकि आईएएस एसोसिएशन ने गृह विभाग का कोई पत्र मिलने से इंकार किया है।
मैदानी अफसरों ने इसलिए नहीं छोड़े आवास
कमलनाथ सरकार ने पहले छह महीने में मैदानी अफसरों के ताबड़तोड़ तबादले किए थे। कुछ कलेक्टरों को तीन-चार महीने के भीतर हटाया गया तो कुछ तो महीने भर में हटा दिया था। अन्य अफसरों के भी तबादले हुए थे। इस तबादला प्रक्रिया के बाद अफसरशाही के बीच अस्थिरता भय बन गया था। यही वजह रही कि मैदानी अफसरों ने भोपाल में आवास खाली नहीं किए। कुछ अफसरों ने आवास खाली किए, लेकिन कुछ महीने के भीतर उन्हें वापस भोपाल पदस्थ किया गया। तब उन्हें सरकारी आवास के लिए लंबी प्रतीक्षा करनी पड़ी।
रिटायर्ड अफसरों ने खाली नहीं किए आवास
प्रदेश सरकार में करीब 30 से ज्यादा रिटायर्ड अधिकारी ऐसे हैं, जिनका सरकार ने पुनर्वास किया है। ऐसे अधिकारियों ने आवास खाली नहीं किए हैं। नियुक्ति के बाद उन्हें आवास की पात्रता मिल जाती है। गृह विभाग के सूत्रों के अनुसार कुछ अधिकारियों ने रिटायरमेंट के 6 महीने बाद भी आवास खाली नहीं किए और बाजार दर पर किराया भी भरने को तैयार हैं।