भोपाल। आर्थिक संकट के चलते उप्र सरकार ने 25 हजार से ज्यादा होमगार्ड की सेवाएं समाप्त करने का फैसला लिया था, अब मप्र होमगार्ड पर भी आर्थिक संकट का खतरा मंडरा रहा है। जिसकी वजह से होमगार्ड सैनिकों को दो महीने से वेतन नहीं मिला है। नगर सैनिकों को मानदेय बांटने के लिए होमगार्ड ने करीब 21 साल पुराने एक आदेश पर सख्ती से पालन करवाना शुरू कर दिया है, जिससे दूसरे विभागों में ड्यूटी कर रहे 500 से ज्यादा होमगार्ड जवानों के मानदेय भुगतान की समस्या खड़ी हो गई है। विभाग जहां होमगार्ड सैनिकों की सेवाएं लौटाने जैसे निर्णय ले रहे हैं तो वहीं होमगार्ड मुख्यालय ने मानदेय के लिए सरकार से बजट मांगा है।
भोपाल सहित जिला मुख्यालयों पर नगर सैनिकों का एक से दो महीने का वेतन लंबित है। नगर सैनिकों को कभी दस दिन की तो कभी 15 दिन के मानदेय की राशि दी जा रही है। भोपाल में ही अभी तक अक्टूबर का मानदेय नगर सैनिकों को नहीं मिला है। बजट की कमी के चलते होमगार्ड मुख्यालय ने अपने उन नगर सैनिकों के मानदेय की समस्या दूर करने का प्रयास किया है, जो दूसरे विभागों के कार्यालयों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। हालांकि उन नगर सैनिकों का मानदेय संबंधित विभागों द्वारा देने का आदेश आज का नहीं, बल्कि 1998 का है। होमगार्ड में अभी तक इसका पालन सख्ती से नहीं किया जा रहा था। अब जब होमगार्ड में मानदेय बांटने के लाले पडऩे लगे तो नगर सेना के भोपाल मुख्यालय से उक्त आदेश पर सख्ती से पालन करवाने के निर्देश दिए गए, ताकि होमगार्ड सैनिकों को समय पर मानदेय वितरित हो सके। इस संबंध में होमगार्ड के विशेष महानिदेशक अशोक दोहरे ने बताया कि होमगार्ड जिस विभाग के कार्यालय में ड्यूटी करते हैं, वहीं से उनका मानदेय दिया जाता है। यह आज का आदेश नहीं है। विभाग होमगार्ड की मानदेय राशि देते हैं और उसे होमगार्ड अपने खाते में जमा करता है। इसे जरूरत के हिसाब से होमगार्ड सरकार से लेता है। अभी नगर सैनिकों के मानदेय को लेकर बजट की कमी है और इस कारण विभागों को मानदेय देने के आदेश का पालन करने को कहा गया है।