भोपाल। शनि सौरमण्डल के सबसे धीमी गति से चलने वाला ग्रह हैं। यह एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करने में ढाई वर्ष का समय लेते हैं। गोचर करते हुए शनि जिस राशि में स्थित होते हैं, वह राशि एवं उससे दूसरी राशि और 12वीं राशि वाले जातक साढ़े साती के प्रभाव में होते हैं। शनि स्वभाव से क्रूर व अलगाववादी ग्रह हैं। जब ये जन्मपत्रिका में किसी अशुभ भाव के स्वामी बनकर किसी शुभ भाव में स्थित होते हैं तब जातक के अशुभ फल में अतीव वृद्धि कर देते हैं। ‘योतिष अनुसार शनि दुख के स्वामी भी है इसलिए शनि के शुभ होने पर व्यक्ति सुखी और अशुभ होने पर सदैव दुखी व चिन्तित रहता है।
पंडित बृजभूषण राजौरिया के मुताबिक शुभ शनि अपनी साढ़ेसाती व ढैय्या में जातक को लाभ प्रदान करते हैं वहीं अशुभ शनि अपनी साढ़ेसाती व ढैय्या में जातक को असहनीय कष्ट देते हैं। गोचर अनुसार शनि जिस राशि में स्थित होते हैं उसके साथ ही उस राशि से दूसरी और द्वादश राशि पर साढ़ेसाती का प्रभाव माना जाता है। वहीं शनि जिन राशियों से चतुर्थ व अष्टम राशिस्थ होते हैं वे शनि की ढैय्या के प्रभाव वाली राशियां मानी जाती हैं। वर्ष 2019 में शनि की साढ़ेसाती से कुछ राशियां प्रभावित होने वाली है। इनमें वृश्चिक, धनु, एवं मकर राशि शामिल है। वहीं वर्ष 2019 में शनि की ढैय्या से भी कुछ राशियां प्रभावित होने वाली हैं। इनमें वृष और कन्या राशि वाले जातक शामिल है।
शनि शांति के उपाय
शनि की प्रतिमा पर सरसों के तेल से अभिषेक करना, दशरथ द्वारा रचित शनि स्तोत्र का पाठ, हनुमान चालीसा का पाठ व दर्शन, शनि की पत्नियों के नामों का उच्चारण, चींटियों के आटा डालना, डाकोत को तेल दान करना, काले कपड़े में उड़द, लोहा, तेल, काजल रखकर दान देना, काले घोड़े की नाल की अंगूठी मध्यमा अंगुली में धारण करना, नौकर-चाकर से अ’छा व्यवहार करना, छाया दान करना।