आलविलक्कु के बारे में
-केरल की इस परंपरा के अनुसार, इस दीपक को पूरे रीति-रिवाजों के साथ प्रज्ज्वलित किया किया गया।
-इसके लिए मलयाली समाज के लोग अपने पारंपरिक परिधानों में पहुंचे हुए थे।
-दीपक के आसपास गुलाब, गेंदे और नीम की पत्तियों से बनाई आकर्षक रंगोली वातावरण में अपनी भीनी महक घोल रही थी।
– विघ्नेश्वर गणपति की लंबी पूजा अर्चना के बाद लगभग 7 बजे अलविलक्कु को प्रज्ज्वलित करना शुरू किया गया।
-15 मिनट में ही एक हजार आठ सौ किलो वजनी और 18 फीट ऊंचा यह दीपक पूरी तरह से जगमगाने लगा।
-बरगद के पेड़ की तरह निर्मित इस दीपक की उँचाई 15 फुट
– मलयालम भाषा में बरगद के पेड़ को आल तथा दीपक को विलक्कु कहा जाता है।
– सबसे नीचे वाले वृत्त का व्यास 7.4 फुट है जबकि सबसे उपर वाले वृत्त का व्यास 4.5 फुट है।